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मुख्यमंत्री योगी ने प्रयागराज में की उच्चस्तरीय बैठक, जनप्रतिनिधियों से विकास पर किया संवाद

मुख्यमंत्री योगी ने प्रयागराज में की उच्चस्तरीय बैठक, जनप्रतिनिधियों से विकास पर किया संवाद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में जनप्रतिनिधियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर क्षेत्रीय विकास व जनअपेक्षाओं पर गहन संवाद किया।

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को सर्किट हाउस प्रयागराज में प्रयागराज और विन्ध्यांचल मंडलों के सांसदों, विधायकों एवं विधान परिषद सदस्यों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रतिभाग किया। बैठक का उद्देश्य था जनप्रतिनिधियों से उनके निर्वाचन क्षेत्रों की यथास्थिति, जनअपेक्षाओं और क्षेत्रीय विकास से संबंधित प्राथमिकताओं पर संवाद स्थापित कर, उनसे प्राप्त प्रस्तावों और कार्ययोजनाओं की समीक्षा कर प्रभावी निर्णय लिया जाना। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का लक्ष्य केवल योजनाओं की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि धरातल पर जरूरतों के अनुरूप कार्यों को समयबद्ध, पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण ढंग से क्रियान्वित करना है।

मुख्यमंत्री ने बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि प्रयागराज और विन्ध्यांचल मंडल न केवल उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के प्रतीक हैं, बल्कि प्रदेश के संतुलित विकास के लिए इन क्षेत्रों का पुनरुत्थान अत्यंत आवश्यक है। इसी दृष्टिकोण से सरकार ने मण्डलवार जनप्रतिनिधि संवाद श्रृंखला की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों की प्राथमिकताओं को प्राथमिक स्तर पर सुना और समझा जा रहा है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा की कि वे अपने क्षेत्र में प्रस्तावित कार्यों की लगातार निगरानी करें और जनभावनाओं के अनुरूप योजनाओं को गति दिलाने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएं।

बैठक में लोक निर्माण विभाग (PWD) एवं धर्मार्थ कार्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि जनप्रतिनिधियों से प्राप्त परियोजना प्रस्तावों को विधानसभावार सूचीबद्ध किया जाए और उनमें से प्राथमिकता के आधार पर चयनित कार्यों की शीघ्र नंबरिंग करते हुए सर्वेक्षण व निरीक्षण कार्य पूर्ण कराया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सिंगल कनेक्टिविटी वाली सड़कों, ब्लैक स्पॉट्स और रोड सेफ्टी से जुड़े प्रस्तावों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर स्वीकृति दी जाए और अधूरे कार्यों को जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी योजना की शुरुआत से पूर्व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन आवश्यक रूप से लिया जाए ताकि योजनाएं धरातल पर कारगर साबित हो सकें।

इस समीक्षा बैठक में जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्रों की सड़क, सेतु, धार्मिक स्थलों की पहुंच, बाईपास, अंडरपास, फ्लाईओवर, मेजर व माइनर ब्रिज, लॉजिस्टिक हब, सिंचाई अवसंरचना, पाण्टून ब्रिज और अन्य बुनियादी परियोजनाओं से जुड़े प्रस्ताव प्रस्तुत किए। मुख्यमंत्री ने इन पर विभागीय समीक्षा के निर्देश दिए, और कहा कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में समयबद्धता, पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए, इसके लिए उत्तरदायित्व भी तय किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से पीडब्लूडी विभाग से कहा कि जो प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों द्वारा प्राथमिकता के साथ प्रस्तुत किए गए हैं, उन पर शीघ्र निर्णय लेते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि 15 सितंबर के बाद संबंधित कार्यों का भूमि पूजन व शिलान्यास संपन्न हो सके।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान नगर विकास विभाग को यह भी निर्देश दिए कि परियोजनाओं की प्लानिंग के पूर्व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से परामर्श लेना अनिवार्य हो और निर्माण स्थल पर उनकी सहभागिता का स्पष्ट उल्लेख भी किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का अनुभव शासन के लिए मार्गदर्शक होता है और उनके फीडबैक के आधार पर नीतिगत निर्णय भी लिए जाने चाहिए।

बैठक के दौरान पर्यटन विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज समेत राज्य के अन्य पर्यटन स्थलों को मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के अंतर्गत सुदृढ़ किया गया है, और उसी क्रम में अब जनप्रतिनिधियों द्वारा पर्यटन संबंधी जो प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए हैं, उन्हें भी प्राथमिकता देकर उसी तर्ज पर विकास कार्य कराए जाएं ताकि पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिले।

इस अवसर पर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी', राज्य मंत्री संजीव गोंड, प्रयागराज के महापौर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीके सिंह सहित प्रयागराज व विन्ध्यांचल मंडल के सभी सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य, वरिष्ठ अधिकारीगण व स्थानीय जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। बैठक का समापन मुख्यमंत्री के इस संदेश के साथ हुआ कि जनसहयोग और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से ही उत्तर प्रदेश के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

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