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वाराणसी में शीतलहर का प्रकोप, छह साल में सबसे बड़ी गिरावट के साथ रिकॉर्ड ठंड

वाराणसी में शीतलहर का प्रकोप, छह साल में सबसे बड़ी गिरावट के साथ रिकॉर्ड ठंड

वाराणसी में शीतलहर व घने कोहरे के कारण दिन का तापमान 13.8 डिग्री रहा, छह वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज।

ऊपरी क्षोभ मंडल में उत्तर भारत से होकर गुजर रही उष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम के प्रभाव से गुरुवार को वाराणसी सहित पूरा पूर्वांचल शीतलहर की चपेट में आ गया। दिनभर सूरज नहीं निकला और शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक कड़ाके की ठंड और घना कोहरा छाया रहा। वाराणसी में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से करीब दस डिग्री नीचे गिरकर 13.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। तापमान में आई इस तेज गिरावट के कारण वाराणसी प्रदेश का सबसे सर्द शहर रहा जबकि देशभर में यह दसवां सबसे ठंडा शहर रिकॉर्ड किया गया। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिसंबर माह में छह वर्षों बाद अधिकतम तापमान में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है और यह दिन शीत दिवस के रूप में दर्ज हो गया।

हालांकि न्यूनतम तापमान में बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ और यह सामान्य से एक डिग्री अधिक 10.5 डिग्री सेल्सियस रहा लेकिन दिनभर ठंड का असर अधिक महसूस किया गया। सड़कों पर वाहन चालकों को लाइट जलाकर धीमी गति से चलना पड़ा और आम जनजीवन अलाव के इर्द गिर्द सिमटा नजर आया। सुबह के समय ग्रामीण इलाकों में कोहरा इतना घना था कि दृश्यता घटकर करीब 50 मीटर तक रह गई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अनुमान जताया है कि अगले तीन दिनों तक पूर्वांचल में इसी तरह का मौसम बना रह सकता है और कई जिलों में अत्यंत घना कोहरा छाने की संभावना है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के लखनऊ स्थित आंचलिक कार्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डा अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बनारस में दिसंबर महीने में छह वर्षों बाद अधिकतम तापमान इतना नीचे पहुंचा है। उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2019 में 27 दिसंबर को अधिकतम तापमान 11.2 डिग्री 28 दिसंबर को 13.6 डिग्री 30 दिसंबर को 13.3 डिग्री और 31 दिसंबर को 9.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मौसम विज्ञान के मानकों के अनुसार जब मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री या उससे कम हो जाए और अधिकतम तापमान सामान्य से 4.5 से 6.4 डिग्री तक नीचे चला जाए तो उसे शीत दिवस कहा जाता है। यदि अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री से भी नीचे चला जाए तो उसे अत्यधिक शीत दिवस माना जाता है। इस दृष्टि से गुरुवार का दिन अत्यधिक शीत दिवस रहा।

घने कोहरे का असर हवाई और रेल यातायात पर भी साफ नजर आया। वाराणसी एयरपोर्ट पर दोपहर एक बजे तक कोई भी विमान लैंड नहीं कर सका। कुल 20 उड़ानें रद रहीं जबकि कई विमानों को या तो देरी का सामना करना पड़ा या उन्हें अन्य हवाई अड्डों पर डायवर्ट करना पड़ा। इंडिगो का चेन्नई से आया विमान कोलकाता भेजा गया जबकि स्पाइसजेट का अहमदाबाद से आने वाला विमान लखनऊ डायवर्ट किया गया। शारजाह से आया एअर इंडिया एक्सप्रेस का विमान भी लखनऊ भेजा गया। बेंगलुरु से वाराणसी पहुंचा अकासा एअर का विमान करीब एक घंटे तक हवा में चक्कर काटने के बाद दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर लैंड कर सका। रेल यातायात भी प्रभावित रहा और वंदे भारत तथा शिवगंगा एक्सप्रेस समेत एक दर्जन से अधिक ट्रेनें ढाई घंटे से लेकर दस घंटे तक देरी से पहुंचीं।

शीतलहर और घने कोहरे को देखते हुए प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाए हैं। वाराणसी सहित सभी जिलों में स्कूलों का समय सुबह दस बजे से तीन बजे तक कर दिया गया है। यह आदेश प्री प्राइमरी से कक्षा बारह तक के सभी राजकीय परिषदीय अशासकीय सहायता प्राप्त निजी मान्यता प्राप्त सीबीएसई आईसीएसई सहित अन्य बोर्ड के विद्यालयों पर अगले आदेश तक लागू रहेगा। प्रशासन का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

कोहरे के कारण सड़क हादसों की घटनाएं भी सामने आई हैं। आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर मुबारकपुर के सठियांव के पास गुरुवार सुबह करीब पांच बजे एक दर्दनाक हादसा हो गया। घने कोहरे के कारण एक मारुति इको कार पीछे से ट्रक में जा घुसी। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। हादसे में मेरठ के सरधना निवासी विशेष उनके दस वर्षीय बेटे आकाश और चालक के चाचा की मौके पर ही मौत हो गई। विशेष की पत्नी डाली बेटी अंशिका बेटा कार्तिक और चालक सत्या गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ट्रक चालक मौके से फरार हो गया। बताया गया कि विशेष अपने परिवार के साथ उपचार और तीर्थाटन के लिए वाराणसी आ रहे थे।

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