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यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों का आंकड़ा दोगुना, अब तक 65 से अधिक मौतें दर्ज

यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों का आंकड़ा दोगुना, अब तक 65 से अधिक मौतें दर्ज

यमुना एक्सप्रेसवे पर वर्ष 2024 में अब तक 65 से अधिक मौतें, तेज रफ्तार और ओवरस्पीडिंग बनी हादसों की मुख्य वजह।

यमुना एक्सप्रेसवे पर वर्ष 2025 समाप्त होने से पहले ही एक बेहद चिंताजनक और दर्दनाक रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। इस वर्ष अब तक यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए सड़क हादसों में 65 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा पिछले दो वर्षों की तुलना में लगभग दोगुना है और लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं ने प्रशासन के साथ साथ आम लोगों की चिंता भी बढ़ा दी है। तेज रफ्तार वाहन अब इस एक्सप्रेसवे पर जानलेवा साबित हो रहे हैं और हर सफर में खतरे का अहसास बढ़ता जा रहा है।

मथुरा जिले से होकर गुजरने वाला यमुना एक्सप्रेसवे करीब 75 किलोमीटर के दायरे में छह थाना क्षेत्रों की सीमा में आता है। पहले इस हिस्से में कुल पांच ब्लैक स्पाट चिन्हित किए गए थे जिनमें नौहझील क्षेत्र के चार और राया क्षेत्र का एक स्थान शामिल था। अब बलदेव थाना क्षेत्र के माइल स्टोन 127 को भी ब्लैक स्पाट घोषित किया गया है। मंगलवार को इसी स्थान पर हुए भीषण सड़क हादसे में 19 लोगों की मौत के बाद इसे ब्लैक स्पाट की सूची में शामिल किया गया। यह हादसा इस वर्ष की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है।

यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों की सबसे बड़ी वजह वाहनों की तेज रफ्तार बताई जा रही है। नियमों और निगरानी के दावों के बावजूद इस वर्ष अब तक 24 हजार से अधिक ओवर स्पीड चालान काटे जा चुके हैं। यह साफ संकेत है कि चालक न तो यातायात नियमों का पालन कर रहे हैं और न ही दुर्घटनाओं का डर उन्हें रोक पा रहा है। वर्ष 2025 में अब तक 60 से अधिक हादसों में करीब 65 लोगों की जान गई है। इससे पहले वर्ष 2023 में 54 हादसों में 38 और वर्ष 2024 में 46 हादसों में 36 लोगों की मौत हुई थी। आंकड़े बताते हैं कि हर साल हादसों और मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

ब्लैक स्पाट घोषित करने की प्रक्रिया के तहत यदि किसी एक स्थान पर तीन वर्षों में 10 हादसों में पांच या उससे अधिक मौत होती हैं तो पुलिस और एक्सप्रेसवे प्राधिकरण उस स्थान को ब्लैक स्पाट चिन्हित करता है। इसके बाद वहां दुर्घटनाएं रोकने के लिए साइन बोर्ड लगाए जाते हैं, रिफ्लेक्टर और सफेद लेन मार्किंग की जाती है, स्पीड लिमिट बोर्ड लगाए जाते हैं और दृश्यता में बाधा बनने वाली झाड़ियों की कटाई कराई जाती है। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर इन उपायों की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।

आगरा से दिल्ली को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 19 पर भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस हाईवे पर 19 ब्लैक स्पाट चिन्हित किए गए हैं। इस वर्ष 30 नवंबर तक 249 सड़क हादसों में 152 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2023 में इसी हाईवे पर सबसे अधिक 311 हादसों में 189 लोगों की जान गई थी। वहीं यमुना एक्सप्रेसवे पर टोल प्लाजा और अन्य स्थानों पर लगे कैमरों के जरिये हर महीने आठ हजार से अधिक चालान पुलिस के सिस्टम में दर्ज होते हैं। हालांकि स्पीड लिमिट से 10 प्रतिशत अधिक रफ्तार होने पर चालान से छूट का प्रावधान भी दुर्घटनाओं को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है। बढ़ते हादसे साफ संकेत दे रहे हैं कि सख्त निगरानी और नियमों के प्रभावी पालन के बिना इस जानलेवा सिलसिले पर रोक लगाना मुश्किल होगा।

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