नई दिल्ली: भारत की लोकतांत्रिक परंपरा ने सोमवार को एक और ऐतिहासिक क्षण देखा, जब वरिष्ठ राजनेता और संगठनात्मक क्षमता के धनी सीपी राधाकृष्णन देश के नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। मतगणना पूरी होने पर यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें 452 मतों का भारी समर्थन प्राप्त हुआ है। यह जीत केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में विश्वास, ईमानदारी और सेवा भाव की जीत मानी जा रही है।
सुबह 10 बजे से संसद भवन में मतदान प्रक्रिया शुरू हुई। लोकसभा और राज्यसभा के सांसद इस चुनाव में भाग लेने पहुंचे। पूरे परिसर में सुरक्षा और गोपनीयता की सख्त व्यवस्था रही। मतदान के दौरान सांसदों में गहरी उत्सुकता देखने को मिली। जैसे-जैसे समय बीतता गया, परिणामों को लेकर अटकलें तेज होती गईं। शाम होते-होते जब मतगणना शुरू हुई, तो शुरुआती राउंड से ही सीपी राधाकृष्णन की बढ़त ने माहौल स्पष्ट करना शुरू कर दिया। अंतिम परिणाम आने तक उनकी जीत सुनिश्चित हो गई और 452 मतों के साथ उन्होंने निर्णायक बहुमत हासिल किया।
परिणाम घोषित होते ही देशभर से बधाइयों की झड़ी लग गई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि "राधाकृष्णन जी का अनुभव और शालीनता भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को और ऊँचाई देगी।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "सीपी राधाकृष्णन जी का जीवन सेवाभाव और सादगी की मिसाल है। उनका यह चयन संसदीय परंपराओं को और मजबूत करेगा।"
गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें बधाई देते हुए लिखा, "उनका संघर्ष और राष्ट्रहित के प्रति समर्पण हर किसी के लिए प्रेरणा है।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि "हम उम्मीद करते हैं कि वे सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन की मिसाल कायम करेंगे।"
इसके अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, बीजद प्रमुख नवीन पटनायक, शरद पवार, राहुल गांधी समेत अनेक नेताओं ने उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं।
चुनाव परिणाम सामने आते ही सोशल मीडिया पर #VicePresidentOfIndia और #CPRadhakrishnan ट्रेंड करने लगे। हजारों नागरिकों ने उन्हें बधाई दी और उनकी सादगी व ईमानदार छवि की सराहना की। युवाओं ने लिखा कि उनका चयन "ईमानदारी और अनुभव की जीत" है।
सीपी राधाकृष्णन का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ और उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन से राजनीति में पहचान बनाई। वे लंबे समय से संगठनात्मक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और युवाओं के सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को हमेशा प्राथमिकता देते रहे। उनकी छवि एक ऐसे नेता की है, जो सत्ता और विपक्ष दोनों से संवाद स्थापित करने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि आज संसद के अधिकांश सदस्यों ने उन्हें देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने का भरोसा दिया।
भारत के संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। ऐसे में उनकी भूमिका केवल संवैधानिक ही नहीं, बल्कि संसदीय परंपराओं की रक्षा करने वाली भी होती है। विश्लेषकों का मानना है कि सीपी राधाकृष्णन की सरल भाषा, संतुलित दृष्टिकोण और संवाद क्षमता राज्यसभा को और अधिक प्रभावी बनाएगी। उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे सत्ता और विपक्ष के बीच संवाद की पुलिया बनेंगे और संसदीय कार्यवाही को गरिमामय ढंग से संचालित करेंगे।
यह चुनाव केवल सीपी राधाकृष्णन की व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के उस आदर्श की जीत है, जिसमें अनुभव, ईमानदारी और सेवा भाव को सबसे ऊपर रखा जाता है। सांसदों ने अपने मतों से यह संदेश दिया कि राजनीति का असली उद्देश्य जनता की सेवा और राष्ट्र निर्माण है।
अब देश की निगाहें उनके शपथ ग्रहण समारोह पर टिकी हैं। यह कार्यकाल संसद की कार्यशैली और राजनीति के भविष्य की दिशा तय करने वाला होगा। जनता और नेताओं दोनों को विश्वास है कि उनका कार्यकाल संसदीय राजनीति में नई ऊर्जा और संवाद की नई परंपरा लेकर आएगा।
सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति, 452 मतों से दर्ज की ऐतिहासिक जीत

वरिष्ठ राजनेता सीपी राधाकृष्णन 452 मतों के साथ भारत के नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए, उन्होंने निर्णायक जीत दर्ज की।
Category: india national politics election
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