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मतदाता सूची पुनरीक्षण: चुनाव आयोग का निर्देश, आधार कार्ड से नहीं जुड़ेंगे वोटर

मतदाता सूची पुनरीक्षण: चुनाव आयोग का निर्देश, आधार कार्ड से नहीं जुड़ेंगे वोटर

चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण में स्पष्ट किया, केवल आधार कार्ड से नहीं जुड़ेंगे वोटर, अन्य प्रमाण भी आवश्यक।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि केवल आधार कार्ड के आधार पर कोई भी व्यक्ति मतदाता नहीं बन सकता। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए नए मतदाताओं को अपना नाम जुड़वाने के लिए आधार के साथ अन्य प्रमाण भी प्रस्तुत करने होंगे। आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देते हुए कहा कि आधार न तो नागरिकता का प्रमाण है, न ही यह निवास या जन्मतिथि का प्रमाण माना जाएगा।

आयोग की ओर से यह संदेश देशभर के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को वीडियो रिकॉर्डिंग और टेक्स्ट मैसेज के रूप में भेजा गया है। वीडियो संदेश में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड का उपयोग केवल आधार अधिनियम के अनुरूप ही किया जा सकता है। आधार अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, आधार कार्ड नागरिकता, निवास या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि कई जिलों में यह संदेश प्राप्त हो चुका है और निर्देशों का पालन शुरू हो गया है। आयोग के लिखित संदेश में यह भी कहा गया है कि जहां तक मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया का सवाल है, आवेदक 13 मान्य दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकता है। इनमें आधार को 12वें मान्य दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया है, लेकिन यह अकेला पर्याप्त नहीं होगा।

मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया के दौरान अगर किसी व्यक्ति के पास वर्ष 2003 की सूची से जुड़ा रिकॉर्ड नहीं है, तो उसे अन्य प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। यदि उसके पास अन्य 12 दस्तावेजों में से कोई नहीं है, तो वह निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) के सामने ऐसा प्रमाण दे सकता है जिससे यह साबित हो सके कि वह भारत का नागरिक है, 18 वर्ष से अधिक आयु का है और संबंधित क्षेत्र का निवासी है। हालांकि, अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर निर्भर करेगा।

एक जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ईआरओ किसी भी दस्तावेज को आयोग की सूची से बाहर स्वीकार करने में हिचक सकते हैं, क्योंकि उस स्थिति में सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर आ जाएगी। इसलिए मतदाता बनने की इच्छा रखने वाले लोगों को मान्य दस्तावेजों की सूची में से कोई एक प्रमाण साथ रखना चाहिए।

चुनाव आयोग ने 13 मान्य दस्तावेजों की सूची जारी की है जिनमें से किसी एक को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इनमें केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र, पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर प्रविष्टि, परिवार रजिस्टर, भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र और अन्य सरकारी अभिलेख शामिल हैं।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्ष 2003 की मतदाता सूची से जिनका नाम लिंक नहीं हो पाएगा, उन्हें सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। नोटिस मिलने पर व्यक्ति को निर्धारित समय सीमा में उपयुक्त दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।

यह निर्णय डिजिटल पहचान और नागरिकता संबंधी भ्रम को दूर करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि मतदाता पंजीकरण में किसी प्रकार की लापरवाही या भ्रम की स्थिति न बने। आयोग के अनुसार, पारदर्शी और प्रमाणिक मतदाता सूची बनाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बुनियाद है।

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