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फर्रूखाबाद: पुलिस चौकी में अपमान के बाद युवक ने दी जान, दो सिपाही सस्पेंड, नेता समेत पांच पर FIR

फर्रूखाबाद: पुलिस चौकी में अपमान के बाद युवक ने दी जान, दो सिपाही सस्पेंड, नेता समेत पांच पर FIR

फर्रुखाबाद के मऊदरवाजा क्षेत्र में दिलीप नामक युवक ने पुलिस प्रताड़ना और अपमान से तंग आकर आत्महत्या कर ली, परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

फर्रुखाबाद: मऊदरवाजा थाना क्षेत्र के छेदा नगला गांव में एक 25 वर्षीय युवक दिलीप की आत्महत्या ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। सोमवार की रात दिलीप ने अपने घर के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। अगले दिन सुबह जब परिजन उसके कमरे में पहुंचे, तो उसे पंखे से लटका पाया। घटना की भयावहता तब और बढ़ गई जब शव को नीचे उतारते समय दिलीप की पैंट पर सुसाइड नोट मिला, जो उसने खुद पेन से लिखा था। इस नोट में दिलीप ने आत्महत्या की वजह मानसिक प्रताड़ना और पुलिस चौकी में अपमान को बताया है।

मृतक दिलीप का अपनी पत्नी नीरज से घरेलू विवाद चल रहा था, जिसकी शिकायत पर सोमवार को पुलिस ने उसे बुलाया था। दिलीप को नजदीकी पुलिस चौकी पर हाजिर होने को कहा गया, जहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने, आरोप के अनुसार, उसे उसकी पत्नी और ससुराल पक्ष के सामने ना केवल बुरी तरह पीटा बल्कि सार्वजनिक रूप से अपमानित भी किया। इस दौरान कथित रूप से 40 हजार रुपये की लेन-देन के बाद ही उसे छोड़ा गया।

रात में घर लौटने के बाद दिलीप ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली। मंगलवार सुबह दिलीप का शव जैसे ही मिला, पूरे गांव में आक्रोश फैल गया। परिजनों और ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन किया और तब तक शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं उठने दिया, जब तक उन्हें एफआईआर की प्रति नहीं दिखाई गई। अंततः पुलिस अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सिंह के निर्देश पर सिपाही यशवंत यादव, महेश उपाध्याय, कथित भाजपा नेता रजनेश राजपूत, दिलीप के ससुर बनवारी लाल और साले राजू के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। दोनों सिपाहियों को फिलहाल लाइन हाजिर कर दिया गया है।

इस आत्महत्या प्रकरण को लेकर अब पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि पुलिस अधिकारी सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। जहानगंज थानाध्यक्ष जितेंद्र पटेल ने कमालगंज क्षेत्र के गांव रसीदपुर जाकर कुछ ग्रामीणों और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि से वीडियो बयान रिकार्ड करवाए, जिनमें दावा किया गया कि दिलीप और उसके पिता ने ही पत्नी नीरज के साथ मारपीट की थी और चौकी में कोई उत्पीड़न नहीं हुआ।

पीड़ित परिवार ने इसे पुलिस द्वारा बनाई गई एक पूर्वनियोजित साजिश बताया है और कहा है कि यह प्रयास आरोपी पुलिसकर्मियों और स्थानीय राजनीतिक रसूखदारों को बचाने के लिए किया जा रहा है। परिजनों का कहना है कि चौकी में दिलीप को अपमानित कर मानसिक रूप से इतना तोड़ा गया कि उसने खुदकुशी जैसा कदम उठाया।

पुलिस ने पैंट पर लिखे गए सुसाइड नोट को फोरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा है, जहां हैंडराइटिंग मिलान के जरिए इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि की जाएगी। इस केस में निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बना हुआ है और मृतक के परिवार को न्याय दिलाने की आवाजें तेज होती जा रही हैं।

दिलीप की आत्महत्या ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली, सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और आम नागरिकों के साथ होने वाले व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग के बीच अब पूरे जिले की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।

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