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फतेहपुर: स्कूल में बच्चों से बर्तन धुलवाने का वीडियो वायरल, शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

फतेहपुर: स्कूल में बच्चों से बर्तन धुलवाने का वीडियो वायरल, शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

फतेहपुर के कंपोजिट विद्यालय में बच्चों से बर्तन धुलवाने का वीडियो वायरल होने पर शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं।

फतेहपुर: मंडाव ब्लॉक क्षेत्र स्थित कंपोजिट विद्यालय सुवाह में घटित एक घटना ने पूरे शिक्षा विभाग को सवालों के घेरे में ला दिया है। बुधवार सुबह मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) के दौरान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें विद्यालय की रसोइया छोटे-छोटे बच्चों से थालियां और बर्तन धुलवाती हुई साफ दिखाई दे रही है। यह वीडियो सामने आने के बाद न केवल स्थानीय अभिभावकों में नाराजगी है, बल्कि विभागीय अधिकारियों ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।

वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि मासूम बच्चे खाने के बाद बर्तन और थालियां साफ करने में लगे हैं, जबकि यह जिम्मेदारी रसोइए की होती है। छोटे बच्चे हाथों में पानी और थाली लेकर जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने शासन की मंशा और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार परिषदीय विद्यालयों में गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करने और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपये का बजट जारी करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात इससे बिल्कुल अलग दिखाई दे रहे हैं।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने वायरल वीडियो को गंभीरता से लेते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को तत्काल जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में खंड शिक्षा अधिकारी श्याम सुंदर पटेल ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक और संबंधित शिक्षकों से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चों से इस तरह का कार्य कराना शिक्षा व्यवस्था की गरिमा और बच्चों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ है, जिसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी।

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और सुरक्षित वातावरण देना प्राथमिक जिम्मेदारी है। लेकिन यदि उनसे रसोई का काम करवाया जाएगा तो उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि शासन से आने वाले बजट और योजनाओं का वास्तविक लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच रहा है।

फतेहपुर में सामने आया यह मामला शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत उजागर करता है। जहां बच्चों को किताब-कॉपी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के बजाय उनसे श्रम कराया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और दोषियों के खिलाफ कितनी सख्ती दिखाता है।

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