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वाराणसी: पूर्व चौकी प्रभारी पर विंडो एसी उखाड़ कर ले जाने का लगा आरोप, DCP ने दिया जांच का आदेश

वाराणसी: पूर्व चौकी प्रभारी पर विंडो एसी उखाड़ कर ले जाने का लगा आरोप, DCP ने दिया जांच का आदेश

वाराणसी के सारनाथ क्षेत्र में आशापुर पुलिस चौकी से पूर्व दरोगा अरविंद यादव द्वारा विंडो एसी उखाड़ ले जाने का मामला सामने आया है, डीसीपी वरुणा जोन ने जांच के आदेश दिए हैं।

वाराणसी: सारनाथ क्षेत्र स्थित आशापुर पुलिस चौकी से जुड़ा एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें चौकी पर पहले तैनात रहे दरोगा अरविंद यादव वहां लगी विंडो एसी को उखड़वा कर अपने साथ ले गए। यह घटना रविवार सुबह की है, जब कुछ स्थानीय लोगों ने देखा कि एक वाहन से तीन लोग आए और सुबह पांच से छह बजे के बीच चौकी की खिड़की से विंडो एसी निकालकर वहां से चले गए। यह दृश्य स्थानीय लोगों के लिए असामान्य था और जल्द ही पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।

जब इस घटना को लेकर पूछताछ की गई और सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, तो स्पष्ट हुआ कि एसी को निकालने वाले लोग दरअसल पूर्व चौकी प्रभारी अरविंद यादव के निर्देश पर आए थे। दरोगा यादव इस समय आजमगढ़ में स्थानांतरित हो चुके हैं। आशापुर चौकी पर उनकी पूर्व तैनाती के दौरान, लगभग डेढ़ वर्ष पहले, जन सहयोग से एक विंडो एसी लगवाई गई थी। यह एसी पुलिसकर्मियों के साथ-साथ फरियादियों के लिए भी गर्मी के मौसम में राहत देने का एक साधन बन गया था।

घटना की जानकारी मिलने के बाद डीसीपी वरुणा जोन प्रमोद कुमार ने तत्काल मामले की जांच के आदेश दिए हैं। डीसीपी ने बताया कि इस संबंध में दरोगा अरविंद यादव से संपर्क किया गया, जिन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्होंने ही एसी को निकाला है। उनका दावा है कि चौकी पर तैनाती के दौरान उन्होंने स्वयं यह एसी लगवाई थी, और चूंकि अब वह वहां तैनात नहीं हैं, इसलिए अपनी निजी एसी को वापस ले गए हैं। हालांकि, प्रशासन ने उनसे उस एसी की खरीद से संबंधित पक्की रसीद या बिल प्रस्तुत करने को कहा है। यदि वह ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

यह मामला केवल सरकारी संपत्ति से संबंधित विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उसी दरोगा के पुराने विवादित आचरण की पृष्ठभूमि को भी सामने लाता है। दरअसल, सारनाथ थाने में तैनाती के दौरान अरविंद यादव पर एक एल्यूमीनियम लदे मालवाहक वाहन के मालिक से वसूली करने का गंभीर आरोप लगा था। तत्कालीन डीसीपी द्वारा की गई जांच में आरोप की पुष्टि होने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। ऐसे में, यह हालिया घटना एक बार फिर उनकी कार्यप्रणाली और ईमानदारी पर सवाल खड़े कर रही है।

फिलहाल पुलिस विभाग मामले की निष्पक्ष जांच कर रहा है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि कोई भी अधिकारी पद का दुरुपयोग न कर सके। यदि एसी वास्तव में दरोगा की निजी संपत्ति थी, तो उन्हें इसका उचित दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा। अन्यथा, इस प्रकार चौकी से सामान हटाना चोरी या अनुशासनहीनता की श्रेणी में आएगा, जिससे न केवल संबंधित अधिकारी की छवि धूमिल होगी, बल्कि विभाग की प्रतिष्ठा पर भी आंच आएगी।

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Category: crime uttar pradesh

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