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वाराणसी: राजघाट पर 1-4 नवंबर तक भव्य गंगा महोत्सव, कलाकार अपनी कला बिखेरेंगे

वाराणसी: राजघाट पर 1-4 नवंबर तक भव्य गंगा महोत्सव, कलाकार अपनी कला बिखेरेंगे

वाराणसी के राजघाट पर 1 से 4 नवंबर तक भव्य गंगा महोत्सव का आयोजन होगा, जिसमें हंसराज रघुवंशी और मालिनी अवस्थी जैसे कलाकार प्रस्तुति देंगे।

वाराणसी में गंगा के पावन तट पर देव दीपावली से पहले इस वर्ष भी भव्य गंगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन 1 नवंबर से 4 नवंबर तक राजघाट पर होगा, जहां देशभर से आए कलाकार अपनी कला से काशी की इस सांस्कृतिक परंपरा को और भव्यता प्रदान करेंगे। चार दिनों तक चलने वाला यह उत्सव संगीत, नृत्य, भक्ति और लोक परंपराओं के अद्भुत मेल का साक्षी बनेगा।

गंगा महोत्सव में इस बार भक्ति संगीत के प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी अपने भजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर करेंगे। हंसराज रघुवंशी का संगीत हमेशा से श्रोताओं को आध्यात्मिक भावनाओं से जोड़ता है और इस बार काशी की धरती पर उनकी प्रस्तुति के लिए दर्शक विशेष उत्साहित हैं।

महोत्सव के दौरान सांसद खेलकूद प्रतियोगिता के विजेता कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे। यह कार्यक्रम इस बार खास आकर्षण का केंद्र रहेगा क्योंकि इसमें स्थानीय प्रतिभाओं को भी मंच देने की पहल की गई है। इसके साथ ही लोक गायन की प्रसिद्ध कलाकार पद्मश्री मालिनी अवस्थी 3 नवंबर को अपने लोक गीतों से उत्तर भारत की लोक परंपरा को सजीव करेंगी। उनकी प्रस्तुति काशी के सांस्कृतिक वातावरण को और जीवंत बना देगी।

संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार के अनुसार, गंगा महोत्सव के मंच पर चार दिनों तक गीत, संगीत, नृत्य और वादन की गंगा बहेगी। प्रत्येक दिन शाम 4 बजे से प्रस्तुतियां शुरू होंगी। इसमें पारंपरिक नृत्य शैलियों की झलक के साथ शास्त्रीय और लोक संगीत का संगम देखने को मिलेगा। 2 नवंबर को पद्मश्री गीता चंद्रन भरतनाट्यम की प्रस्तुति देकर दर्शकों को शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा से परिचित कराएंगी।

आयोजन के अंतिम दिन हंसराज रघुवंशी की भक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुति गंगा महोत्सव का मुख्य आकर्षण होगी। वहीं पूरे आयोजन के दौरान काशी के घाटों पर सांस्कृतिक झलकियों से भक्ति और उत्सव का वातावरण बनेगा।

गंगा महोत्सव काशी की पहचान बन चुका है, जहां गंगा तट पर संस्कृति, श्रद्धा और संगीत का संगम होता है। इस बार का आयोजन न केवल भक्ति और अध्यात्म की अनुभूति देगा बल्कि यह काशी की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को नए आयाम भी प्रदान करेगा।

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