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वाराणसी: गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार, कई इलाके हुए प्रभावित

वाराणसी: गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार, कई इलाके हुए प्रभावित

वाराणसी में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार कर खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है जिससे बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है और घाटों पर असर दिख रहा है।

वाराणसी: पवित्र गंगा नदी इस समय अपने रौद्र रूप में है और इसका जलस्तर लगातार खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रहा है। शुक्रवार शाम को गंगा 70.36 मीटर पर बह रही थी, जो चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर को पार कर चुकी है और अब 71.26 मीटर के खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, गंगा में जलस्तर हर घंटे लगभग चार सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा है, जिससे वाराणसी और आसपास के इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है।

बढ़ते जलस्तर का सबसे अधिक असर वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों पर देखा जा रहा है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चलने लगी हैं, और शवदाह के लिए आने वाले लोगों को अब लंबी प्रतीक्षा झेलनी पड़ रही है। बाबा मसान नाथ सेवा समिति के संजय गुप्ता ने बताया कि गलियों में शव यात्रियों को 30 से 40 मिनट तक रुकना पड़ रहा है क्योंकि गंगा का पानी शवदाह स्थलों तक पहुंच चुका है। हरिश्चंद्र घाट पर भी पानी का स्तर गलियों में बढ़ गया है, और घाट के कई मंदिर जलमग्न हो चुके हैं।

गंगा के उफान और वरुणा नदी के पलट प्रवाह के चलते शहर के कई मोहल्लों जैसे दीन दयालपुर, पैगंबरपुर, पुल कोहना, पुराना पुल, रूप्पनपुर और सलारपुर के हालात चिंताजनक हो गए हैं। अब तक 15 गांव और 10 शहरी मोहल्ले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 436 परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है, जिनमें से 227 परिवार सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं और 209 परिवारों को राहत शिविरों में शरण दी गई है।

कृषि क्षेत्र भी इस प्राकृतिक आपदा से अछूता नहीं रहा है। किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। भिंडी, लौकी, टमाटर और नेनुआ जैसी मौसमी सब्जियां जलमग्न हो गई हैं। कुल 294 किसान प्रभावित हुए हैं और 53.65 हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है। चिरईगांव क्षेत्र में स्थित नर्सरियां खतरे में हैं। यदि जलस्तर में वृद्धि का यह क्रम जारी रहा, तो स्थानीय सब्जी उत्पादन पूरी तरह ठप हो सकता है।

गंगा का पानी अब नगवां नाला से होकर अस्सी पुष्कर तालाब के रास्ते तक पहुंच गया है। इस स्थिति को देखते हुए सिंचाई विभाग ने चैनल गेट को बंद करवाया और मोटर पंप की मदद से जल निकासी का कार्य शुरू किया है। वहीं, जनजीवन की सुरक्षा और राहत कार्यों की समीक्षा के लिए मंडलायुक्त एस. राजलिंगम और 11वीं बटालियन एनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने संयुक्त रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान उन्होंने स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर बचाव तैयारियों, राहत वितरण और त्वरित आपदा प्रतिक्रिया की व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की। डीआईजी मनोज शर्मा ने बताया कि एनडीआरएफ की टीमें पूरी तरह मुस्तैद हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ लगातार समन्वय में काम कर रही हैं ताकि किसी भी स्थिति में त्वरित राहत और बचाव सुनिश्चित किया जा सके।

बाढ़ की भयावहता ने लोगों को वर्ष 2014 की विनाशकारी बाढ़ की याद दिला दी है। नक्खी घाट निवासी संजय गुप्ता, दीनदयालपुर के रमेश सोनकर और विजय सोनकर जैसे स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस बार की स्थिति भी उसी भयावहता की ओर बढ़ती दिख रही है। प्रशासन, राहत एजेंसियों और नागरिकों के सहयोग से ही इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है। स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए जल आयोग की ओर से बाढ़ बुलेटिन नियमित रूप से जारी किए जा रहे हैं और जरूरी सतर्कता बरती जा रही है।

गंगा के जलस्तर का अवलोकन:

वर्तमान जलस्तर: 70.36 मीटर

चेतावनी बिंदु: 70.26 मीटर

खतरे का बिंदु: 71.26 मीटर

इतिहास में अधिकतम जलस्तर: 73.90 मीटर

प्रशासनिक अमला पूरी तत्परता से मैदान में है, परंतु प्राकृतिक आपदा की तीव्रता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले दिन और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

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