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गाजीपुर में लाठीचार्ज से दिव्यांग भाजपा कार्यकर्ता की मौत, 6 पुलिसकर्मी निलंबित

गाजीपुर में लाठीचार्ज से दिव्यांग भाजपा कार्यकर्ता की मौत, 6 पुलिसकर्मी निलंबित

गाजीपुर में लाठीचार्ज के दौरान दिव्यांग भाजपा कार्यकर्ता की मौत के बाद नोनहरा थानाध्यक्ष सहित छह पुलिसकर्मी निलंबित, मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश।

गाजीपुर: नोनहरा थाना क्षेत्र में लाठीचार्ज के दौरान दिव्यांग भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की मौत ने पूरे जिले ही नहीं, बल्कि प्रदेश की सियासत को भी हिला दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों की तीखी प्रतिक्रिया, पार्टी नेताओं के दबाव और जनता के आक्रोश के बीच पुलिस प्रशासन हरकत में आया। गुरुवार शाम को एसपी डॉ. ईरज राजा ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नोनहरा थानाध्यक्ष वेंकटेश तिवारी सहित छह पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जबकि पांच अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया।

इस पूरे मामले को एसपी ने बेहद गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अविनाश कुमार को मजिस्ट्रेटियल जांच के लिए पत्र लिखा, जिस पर डीएम ने तुरंत टीम गठित कर जांच के आदेश जारी कर दिए। साथ ही मृतक कार्यकर्ता का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के पैनल और वीडियोग्राफी की मौजूदगी में कराया गया, ताकि किसी तरह का संदेह न रहे। प्रशासन का यह कदम साफ दिखाता है कि मामला सिर्फ एक मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे सरकार और पुलिस दोनों की साख पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

भाजपा नेताओं के दबाव और ग्रामीणों की नाराजगी के बीच एसपी खुद दोपहर तीन बजे के बाद मृतक सियाराम उपाध्याय के घर पहुंचे। उन्होंने मृतक के माता-पिता और परिजनों से मुलाकात कर पूरी घटना पर दुख जताया। परिजनों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई और न्याय की गुहार लगाई। इस पर एसपी ने भरोसा दिलाया कि दी गई तहरीर और सभी मांगों के आधार पर न्यायसंगत कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद शाम करीब पांच बजे पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रवाना किया।

निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों में नोनहरा थाना प्रभारी निरीक्षक वेंकटेश तिवारी, उपनिरीक्षक अवधेश कुमार राय, मुख्य आरक्षी नागेंद्र सिंह यादव, आरक्षी धीरज सिंह, आरक्षी अभिषेक पांडेय और आरक्षी राकेश कुमार शामिल हैं। वहीं लाइन हाजिर किए गए पुलिसकर्मियों में उपनिरीक्षक कमलेश गुप्ता, उपनिरीक्षक जुल्फिकार अली, आरक्षी मुलायम सिंह, आरक्षी राघवेंद्र मिश्र और आरक्षी राजेश कुमार के नाम शामिल हैं। यह कार्रवाई दिखाती है कि पुलिस प्रशासन मामले को दबाने के बजाय अब खुलकर कार्रवाई की ओर बढ़ा है।

भाजपा कार्यकर्ता की मौत ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं का कहना है कि जब सत्ता में भाजपा की ही सरकार है, तब भी कार्यकर्ताओं को पुलिस की लाठियां झेलनी पड़ रही हैं और उनकी जान तक जा रही है। यह स्थिति सरकार की नाकामी को उजागर करती है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है, तो आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कैसे होगी।

फिलहाल, मजिस्ट्रेटियल जांच का आदेश जारी हो चुका है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि रिपोर्ट के आधार पर जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके मुताबिक दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर पुलिस-प्रशासन की बड़ी चूक हुई है, जिसका खामियाजा एक दिव्यांग कार्यकर्ता को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।

गाजीपुर की यह घटना सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है। भाजपा के कार्यकर्ता और समर्थक अब यह सवाल उठा रहे हैं कि अपने ही शासन में यदि पार्टी से जुड़े लोग सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा। यह मामला न सिर्फ पुलिस विभाग के लिए बल्कि पूरी सरकार की कार्यप्रणाली पर एक गहरी चोट है।

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