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गाजीपुर: गंगा में तैरता विशाल पत्थर बना आस्था का केंद्र, दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

गाजीपुर: गंगा में तैरता विशाल पत्थर बना आस्था का केंद्र, दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

गाजीपुर के ददरी घाट पर गंगा नदी में एक विशाल पत्थर तैरता हुआ पाया गया, जिसे श्रद्धालु भगवान राम से जोड़कर चमत्कार मान रहे हैं और दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं।

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में ददरी घाट पर आस्था और रहस्य का एक अद्भुत संगम देखने को मिला, जब गंगा नदी में एक बड़ा पत्थर तैरते हुए दिखाई दिया। यह दृश्य किसी चमत्कार से कम नहीं था। घाट पर पहुंचे स्थानीय लोग, महिलाएं, पुरुष और बच्चे, सभी इस दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित रह गए और जल्द ही यह पत्थर श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गया।

बताया जा रहा है कि यह पत्थर गंगा की धारा में तैरता हुआ वाराणसी की ओर से बहकर आया है। इसका वजन भी सामान्य से कहीं अधिक है, फिर भी यह जल की सतह पर तैर रहा है, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विस्मयकारी है और धार्मिक आस्था के लिए प्रेरणास्पद। इस पत्थर को घाट के किनारे रस्सी से बांध दिया गया है ताकि यह आगे बह न जाए। लोग इसे त्रेता युग की पौराणिक घटनाओं से जोड़ रहे हैं और मान्यता के अनुसार इसे श्रीराम से जुड़ा 'पवित्र तैरता पत्थर' बताया जा रहा है।

इस पत्थर को देखकर रामायण काल के उस प्रसंग की स्मृति ताज़ा हो उठी, जिसमें भगवान श्रीराम की वानर सेना ने समुद्र पर सेतु बनाने के लिए जिन पत्थरों का प्रयोग किया था, वे प्रभु श्रीराम का नाम लिखे जाने के कारण जल पर तैरते थे। लोगों का मानना है कि यह पत्थर उसी पवित्र सेतु का हिस्सा हो सकता है, जो अब सदियों बाद गंगा की धारा में बहकर यहां तक पहुंचा है।

पत्थर की पूजा-अर्चना की जा रही है, फूल और अगरबत्ती चढ़ाए जा रहे हैं, वहीं कई लोगों ने दीप जलाकर मनोकामनाएं भी मांगी। घाट का पूरा माहौल 'जय श्रीराम' और 'राम नाम सत्य है' के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ घाट पर पहुंच रहे हैं और यह स्थान अब स्थानीय लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल में तब्दील होता जा रहा है।

स्थानीय प्रशासन भी इस असामान्य घटना पर नजर रखे हुए है। वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञ इस पत्थर की बनावट और विशेषताओं की जांच कर सकते हैं ताकि इसके रहस्य से पर्दा उठाया जा सके। हालांकि, फिलहाल यह पत्थर गाजीपुर और आसपास के इलाकों के श्रद्धालुओं के लिए विश्वास और भक्ति का प्रतीक बन चुका है।

गाजीपुर के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा अद्भुत दृश्य देखा है, जब कोई भारी पत्थर पानी की सतह पर तैर रहा हो और वह भी गंगा जैसी विशाल नदी में। उनका मानना है कि यह कोई साधारण घटना नहीं बल्कि कोई आध्यात्मिक संकेत हो सकता है, जो लोगों की आस्था को और भी गहरा कर रहा है।

इस अनोखी घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि भारत जैसे देश में जहां विज्ञान तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं अध्यात्म और आस्था की जड़ें भी उतनी ही गहरी और मजबूत हैं। गाजीपुर का ददरी घाट अब केवल गंगा स्नान का स्थान नहीं रहा, बल्कि यह एक नई आस्था यात्रा का प्रतीक बन गया है, जिसकी चर्चा दूर-दराज तक होने लगी है।

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