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राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने संस्कृत विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया, छात्रों से संवाद

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने संस्कृत विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया, छात्रों से संवाद

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने वाराणसी में संस्कृत विश्वविद्यालय का दौरा किया, शास्त्रार्थ परंपरा के महत्व पर जोर दिया और छात्रों से बात की।

वाराणसी में प्रधानमंत्री के 52वें दौरे पर स्वागत करने पहुंचीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने संस्कृत विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कक्षाओं, पुरातत्व संग्रहालय, पाणिनि भवन सभागार, परीक्षा भवन, ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र, पांडुलिपि संरक्षण केंद्र, प्रकाशन संस्थान, विक्रय विभाग और केंद्रीय कार्यालय का अवलोकन किया। निरीक्षण के समय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा उनके साथ मौजूद रहे और प्रत्येक विभाग की जानकारी विस्तार से दी।

राज्यपाल ने अपने निरीक्षण के दौरान कहा कि शास्त्रार्थ परंपरा शास्त्रों के संरक्षण और संवर्धन का महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके जरिए शास्त्रों के अमृत तत्वों का प्रवाह होता है और नई पीढ़ी को गहराई से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है। उन्होंने इस परंपरा को और व्यापक स्तर पर प्रसारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें और शास्त्रों की महत्ता को समझ सकें।

निरीक्षण के दौरान आनंदी बेन पटेल ने पाणिनि भवन के भीतर चल रही व्याकरण कक्षा में छात्रों के साथ संवाद किया। कक्षा में विद्यार्थी लघुशब्देन्दुशेखर ग्रंथ पर "राम" शब्द पर चर्चा कर रहे थे। राज्यपाल ने इस चर्चा को ध्यानपूर्वक सुना और छात्रों से बातचीत कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में अपने विचार साझा किए।

ज्योतिष विभाग में राज्यपाल ने दरी पर बैठे छात्रों को देखकर संतोष जताया। इस दौरान उन्होंने लघु पाराशरी ग्रंथ पढ़ रहे विद्यार्थियों से परिचय प्राप्त किया और ज्योतिष विषय से संबंधित कुण्डली और हस्तरेखा पर जानकारी ली। उन्होंने ज्योतिष विभाग में ग्रहों की शांति के उपायों पर भी विस्तार से जानकारी हासिल करने की इच्छा व्यक्त की। यहां उपस्थित पंडित मुरारी लाल शर्मा ने विभाग में रखे 18 विभिन्न यंत्रों का प्रदर्शन किया और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमित कुमार शुक्ल ने याम्योत्तर और एस्ट्रोलैब जैसे यंत्रों का महत्व बताया।

इसके अलावा राज्यपाल ने पांडुलिपि संरक्षण केंद्र का भी सूक्ष्म निरीक्षण किया जहां राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने संरक्षण कार्यों को बारीकी से देखा और निर्देश दिया कि ट्रीटमेंट प्रक्रिया को और तेज किया जाए ताकि इन पांडुलिपियों में निहित प्राचीन ज्ञान को सुरक्षित रखा जा सके।

निरीक्षण के अंत में राज्यपाल ने परीक्षा विस्तार भवन, प्रकाशन संस्थान और केंद्रीय कार्यालय में प्रकाशित ग्रंथों और संग्रह का अवलोकन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की और कहा कि संस्कृत भाषा और शास्त्रों का संरक्षण भारतीय संस्कृति की धरोहर को मजबूत करता है।

आनंदी बेन पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि शास्त्रार्थ परंपरा के जरिए शास्त्रों के गूढ़ तत्वों को सरल और सुलभ बनाया जा सकता है। इसे दूर दूर तक फैलाना चाहिए ताकि भावी पीढ़ियां भी शास्त्रों की महत्ता से परिचित हो सकें और भारत की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान कर सकें।

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