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जीएसटी परिषद का बड़ा फैसला, अब तीन ही होंगे जीएसटी स्लैब, 12% और 28% खत्म

जीएसटी परिषद का बड़ा फैसला, अब तीन ही होंगे जीएसटी स्लैब, 12% और 28% खत्म

जीएसटी परिषद ने 22 सितंबर 2025 से तीन-स्लैब प्रणाली 5%, 18%, 40% विशेष लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें 12% और 28% स्लैब समाप्त कर दिए जाएंगे।

नई दिल्ली, 3 सितंबर 2025: देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े एक अहम फैसले में आज हुई जीएसटी परिषद (GST Council) की बैठक ने टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव कर दिया है। परिषद ने लंबी चर्चा और विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया कि अब पूरे देश में वस्तु एवं सेवा कर (GST) केवल तीन स्लैब में लागू होगा। नए स्लैब 5%, 18% और एक विशेष 40% स्पेशल स्लैब होंगे।

अब तक देश में जीएसटी के पांच प्रमुख स्लैब मौजूद थे – 5%, 12%, 18%, 28% और विशेष श्रेणी। लेकिन नए फैसले के तहत 12% और 28% की दरों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों पर पड़ेगा। सरकार का मानना है कि इससे कर प्रणाली और अधिक सरल होगी और टैक्स चोरी की संभावनाएं भी कम होंगी।

जीएसटी परिषद ने यह भी स्पष्ट किया है कि नया टैक्स ढांचा 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएगा। इसका मतलब है कि व्यवसायियों और उद्योग जगत को अपने बिलिंग और अकाउंटिंग सिस्टम में 20 दिन के भीतर बदलाव करना होगा। सरकार ने इस संक्रमण काल को ध्यान में रखते हुए जीएसटी नेटवर्क (GSTN) को पूरी तरह अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं, ताकि कारोबारियों को किसी तरह की तकनीकी दिक्कत का सामना न करना पड़े।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से कई क्षेत्रों पर सीधा असर देखने को मिलेगा।

1. 12% स्लैब हटने से: कई पैक्ड फूड आइटम, मोबाइल फोन, कपड़े और फर्नीचर जैसी वस्तुएं अब 5% या 18% स्लैब में आ जाएंगी। इससे कुछ उत्पाद सस्ते होंगे, जबकि कुछ की कीमत बढ़ सकती है।

2. 28% स्लैब खत्म होने से: लग्जरी कारें, एसी, फ्रिज और बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अब 40% स्पेशल स्लैब में शिफ्ट किए जाएंगे। इसका उद्देश्य अत्यधिक विलासिता वाली वस्तुओं पर कर दर को नियंत्रित रखते हुए राजस्व की हानि से बचना है।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि जहां सामान्य उपभोक्ताओं को रोजमर्रा के सामान पर राहत मिल सकती है, वहीं विलासिता की वस्तुओं और लग्जरी सेवाओं के लिए 40% का स्पेशल स्लैब महंगा साबित होगा। छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए भी यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि कर दरों में कमी से उनका अनुपालन आसान हो जाएगा।

वित्त मंत्री ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह निर्णय कर प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, सरल और व्यवसाय के अनुकूल बनाने के लिए लिया गया है। उनका कहना था, जीएसटी का ढांचा लंबे समय से जटिल माना जा रहा था। अब केवल तीन स्लैब होने से उद्योग और उपभोक्ता दोनों को लाभ मिलेगा। साथ ही, यह कदम 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को और मजबूती देगा।

बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने अपनी राय रखी और व्यापक चर्चा के बाद आम सहमति से इस निर्णय पर मुहर लगी। हालांकि कुछ राज्यों ने राजस्व घाटे की आशंका जाहिर की, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि क्षतिपूर्ति तंत्र के माध्यम से उनकी भरपाई की जाएगी।

जीएसटी परिषद के इस बड़े निर्णय को ऐतिहासिक माना जा रहा है। 22 सितंबर से जब यह नया ढांचा लागू होगा, तो देश की कर प्रणाली पहले से कहीं अधिक सरल और स्पष्ट हो जाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में इसका असर महंगाई दर, व्यापार और उपभोक्ता बाजार पर कैसा पड़ता है।

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