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ज्ञानवापी मूलवाद केस में आज सुनवाई: हरिहर पांडे की बेटियों की संशोधित याचिका पर बहस

ज्ञानवापी मूलवाद केस में आज सुनवाई: हरिहर पांडे की बेटियों की  संशोधित याचिका पर बहस

वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में आज ज्ञानवापी मूलवाद मामले की सुनवाई होगी, हरिहर पांडे की बेटियों की संशोधित याचिका पर बहस की जाएगी।

वाराणसी के सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश भावना भारती की अदालत में आज ज्ञानवापी मूलवाद मामले की सुनवाई होगी। मामले में दिवंगत हरिहर पांडे की बेटियों द्वारा दायर पक्षकार बनाए जाने की संशोधित याचिका पर बहस होगी। इस मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी और अन्य पक्षकार कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करेंगे।

यह मुकदमा 1991 से लंबित है और वर्षों से इसमें कई अवरोध आते रहे हैं। पहले हरिहर पांडे के परिजनों द्वारा वादी बनने की याचिका खारिज की जा चुकी है। अब उनकी बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडे की ओर से पक्षकार बनाए जाने की रिवीजन याचिका सुनी जाएगी। वकील आशीष श्रीवास्तव ने अदालत से संशोधित याचिका पर बहस के लिए समय मांगा है।
पिछली सुनवाई में अदालत ने वादमित्र को हटाने की याचिका को खारिज कर दिया था। इस बार संशोधित याचिका में कुछ अतिरिक्त निर्देश जोड़ने का अनुरोध किया गया है। वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने इस संशोधन पर आपत्ति दर्ज कराई है और इसके बिंदु अदालत के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

अनुष्का तिवारी की ओर से भी दाखिल प्रार्थना पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद और एखलाक अहमद ने पहले ही बेटियों के पक्षकार बनने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि अगर सभी प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिए गए तो मुकदमे में पक्षकारों की कतार लग जाएगी, जिससे सुनवाई प्रभावित होगी। वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील तौहिद खान ने बेटियों के पक्षकार बनने का समर्थन किया।

अदालत में यह भी बहस होगी कि वादमित्र ने आवश्यक पक्षों जैसे राज्य सरकार, भारत सरकार और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को शामिल नहीं किया, जबकि ये संस्थाएं विवादित धार्मिक संपत्ति के प्रबंधन और पूजा में सीधे प्रभावित हैं। इसके अलावा प्रस्तावित वादमित्र बदलने की मांग में जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर और अन्य नाम प्रस्तावित किए गए हैं।
33 साल से लंबित यह मामला अब भी कानूनी प्रक्रियाओं और पक्षकारों के संशोधन के कारण लंबित है। अदालत का निर्णय इस सुनवाई में आने वाले निर्देशों और याचिकाओं पर आधारित होगा।

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