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ज्ञानवापी मामले की अगली सुनवाई आज, हिंदू पक्ष की प्रमुख मांगें होंगी पेश

ज्ञानवापी मामले की अगली सुनवाई आज, हिंदू पक्ष की प्रमुख मांगें होंगी पेश

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की अगली सुनवाई आज नए जिला जज करेंगे, जिसमें हिंदू पक्ष की प्रमुख मांगों पर चर्चा होगी।

वाराणसी: ज्ञानवापी वजूस्थल को लेकर चल रहे विवादित मामले की अगली सुनवाई आज यानि 24 अक्टूबर को होगी। नए जिला जज संजीव शुक्ला अपने कार्यभार संभालने के बाद इस मामले की दूसरी सुनवाई करेंगे। इस मामले में हिंदू पक्ष ने अदालत में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन, बंद तहखानों की मरम्मत और मुस्लिम नमाजियों को तहखाने की छत पर रोक लगाने जैसी मुख्य मांगें रखी हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वजूखाने के ताले और फटे हुए कपड़े बदलने का अनुरोध भी दायर किया गया है। पिछली सुनवाई में जिला जज ने मामले से संबंधित फाइलों का अध्ययन किया और दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। वकीलों की ओर से ताले और कपड़े बदलने पर बहस केंद्रित रही। सुनवाई के दौरान जिला जज ने फाइलों का गहन अध्ययन करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा।

आज की सुनवाई में ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की संयुक्त सुनवाई होगी। इन मामलों में पांच महिलाओं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और राखी सिंह ने परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी है। उनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने इन मामलों की सुनवाई तेजी से करने की मांग की है।

सुनवाई में पिछली कार्रवाई पर चर्चा भी होगी। 16 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया गया था, जिसमें कथित वजूखाने को सील करने की बात की गई थी। वादी पक्ष ने बताया कि दक्षिण दिशा का एस-1 और उत्तर दिशा का एन-1 तहखाना अभी तक एएसआई सर्वे में शामिल नहीं हो सका क्योंकि वे पत्थरों से बंद हैं। अदालत से इन बाधाओं को हटाकर एएसआई को सर्वे की अनुमति देने की मांग की गई है।

सुनवाई में भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से दाखिल याचिका पर भी चर्चा होगी, जिसमें मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा की अनुमति और उसमें बाधा डालने वालों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग शामिल है। पिछली सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने कहा था कि सभी मामलों को एक साथ जोड़ने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए कोई भी निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही लिया जाएगा।

जिला जज ने 1991 में दाखिल लॉर्ड विश्वेश्वर के मुकदमे को सिविल कोर्ट से जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग को खारिज कर दिया था।

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