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ज्ञानवापी मूलवाद पर आज सिविल जज कोर्ट में अहम सुनवाई, वाद मित्र हटाने पर होगी बहस

ज्ञानवापी मूलवाद पर आज सिविल जज कोर्ट में अहम सुनवाई, वाद मित्र हटाने पर होगी बहस

वाराणसी जिला कोर्ट में ज्ञानवापी मूलवाद पर अहम सुनवाई होगी, जिसमें वाद मित्र को हटाने और नए पक्षकार शामिल करने पर बहस होगी।

वाराणसी: जिला एवं सत्र न्यायालय के सिविल जज कोर्ट में आज सोमवार दोपहर ज्ञानवापी मूलवाद से जुड़ी अहम सुनवाई होगी। यह सुनवाई 33 साल पुराने मुकदमे के उस हिस्से पर केंद्रित है जिसमें वादमित्र को हटाने की अर्जी और नए पक्षकार को शामिल किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। भगवान विश्वेश्वर से जुड़े इस केस में पक्षकार और प्रतिवादी दोनों अपनी दलीलें अदालत के समक्ष रखेंगे।

पिछली सुनवाई में दिवंगत हरिहर पांडेय की बेटियों की ओर से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बहस की थी। उन्होंने दलील दी थी कि अदालत ने प्रार्थना पत्र पर आपत्ति आने से पहले ही उसे खारिज कर दिया, जबकि ऐसा करना विधि के अनुरूप नहीं था। उनका कहना था कि मौजूदा वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी एक निजी ट्रस्ट के पदाधिकारी हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर का उस निजी ट्रस्ट से कोई संबंध नहीं है। इसी मुद्दे पर आज फिर से बहस होनी तय है।

इस मुकदमे के वादी रहे हरिहर पांडेय के निधन के बाद उनकी बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय को पक्षकार बनाए जाने की रिवीजन याचिका भी अदालत में लंबित है। इसके अलावा अनुष्का तिवारी की ओर से दाखिल एक प्रार्थना पत्र भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। वादमित्र को हटाने की अर्जी के साथ ही ट्रांसफर आवेदन से जुड़ी पुनर्विचार याचिका पर भी अदालत विचार करेगी। वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने इन दोनों अर्जी पर आपत्ति दर्ज कराई है और उनका कहना है कि स्थानांतरण की कोई आवश्यकता नहीं है।

अधिवक्ता अनुष्का तिवारी ने अपने स्थानांतरण आवेदन में नए दस्तावेजों और तथ्यों का हवाला दिया है। इनमें विभिन्न तीर्थस्थलों के महंतों और पुजारियों सहित कई श्रद्धालुओं द्वारा दाखिल हलफनामे शामिल हैं। उनका तर्क है कि यह मुकदमा केवल व्यक्तिगत स्तर का नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि वाद है जिसे पहले पंडित सोमनाथ व्यास, प्रोफेसर रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय ने दायर किया था। यह मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में विचाराधीन है और भगवान विश्वेश्वर के प्रति करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है।

इसी बीच तीन बहनों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील रईस अहमद और एखलाक अहमद ने आपत्ति दर्ज कराई। उनका कहना है कि हरिहर पांडेय की बेटियों को पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि अदालत पहले ही उनके ऐसे पांच आवेदन खारिज कर चुकी है। अदालत ने 11 जुलाई को भी उनके प्रार्थना पत्र को निरस्त किया था। हालांकि वादमित्र पर मस्जिद कमेटी को कोई आपत्ति नहीं है।

आज की सुनवाई में इन सभी दलीलों और आपत्तियों पर अदालत दोनों पक्षों को सुनकर आगे का आदेश देगी। चूंकि यह मामला लंबे समय से वाराणसी की न्यायिक और धार्मिक परिधि में चर्चा का केंद्र रहा है, इसलिए आज की कार्यवाही को लेकर पक्षकारों और आम जनता की गहरी नजर बनी हुई है।

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