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वाराणसी: ज्ञानवापी वजूस्थल के ताले और सील के कपड़े बदलने पर आज कोर्ट में सुनवाई

वाराणसी: ज्ञानवापी वजूस्थल के ताले और सील के कपड़े बदलने पर आज कोर्ट में सुनवाई

वाराणसी की जिला अदालत में आज ज्ञानवापी वजूस्थल के ताले और सील के कपड़े बदलने पर अहम फैसला सुनाया जाएगा, जिससे मामले में नया मोड़ आएगा।

वाराणसी : ज्ञानवापी वजूस्थल के ताले और सील के कपड़े बदलने का फैसला आज जिला कोर्ट में लिया जाएगा। जिले के नए जिला जज संजीव शुक्ला कार्यभार संभालने के बाद इस मामले की दूसरी सुनवाई करेंगे। इस याचिका में हिंदू पक्ष ने अदालत से मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजन की अनुमति, बंद तहखानों की मरम्मत, तथा मुस्लिम नमाजियों को तहखाने की छत पर रोकने जैसी मुख्य मांगें रखी हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वजूखाने की स्थिति का सर्वे कराए जाने के बाद ताले और फटे हुए कपड़े बदलने का अनुरोध किया गया है। पिछली सुनवाई में जिला जज ने श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी से जुड़े मामलों की फाइलों का अध्ययन किया और दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। वकीलों की ओर से ताले और कपड़े बदलने पर बहस केंद्रित रही, जिसके बाद जज ने फाइलों का गहन अध्ययन करने के लिए समय मांगा।

आज 24 अक्टूबर को कोर्ट में ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की संयुक्त सुनवाई होगी। इनमें पांच महिलाएं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और राखी सिंह परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांग रही हैं। उनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने सुनवाई की तेजी से पूर्ण होने की अपील की है।

सुनवाई के दौरान वजूखाने पर हुई पिछली कार्रवाई पर चर्चा होगी। इसमें 16 मई को सिविल जज द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें कथित वजूखाने को सील करने का उल्लेख था। वादी पक्ष ने बताया कि दक्षिण दिशा का एस-1 और उत्तर दिशा का एन-1 तहखाना अभी तक एएसआई सर्वे में शामिल नहीं हो सका क्योंकि यह पत्थरों से बंद है। उन्होंने अदालत से इन बाधाओं को हटाकर सर्वे की अनुमति देने की मांग की है।

सुनवाई में भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से दाखिल याचिका पर भी चर्चा होगी। इसमें मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा की अनुमति और इसमें बाधा डालने वालों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। पिछले सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने बताया कि सभी मामलों को एक साथ जोड़ने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए कोई भी निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही लिया जाएगा।जिला जज ने 1991 में दाखिल लॉर्ड विश्वेश्वर के मुकदमे को सिविल कोर्ट से जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग को खारिज कर दिया है।

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