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पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन, रायपुर में कल अंतिम विदाई

पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन, रायपुर में कल अंतिम विदाई

पद्मश्री से सम्मानित हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का हृदयाघात से रायपुर में निधन हो गया, वे 67 वर्ष के थे और अपनी व्यंग्यपूर्ण रचनाओं के लिए प्रसिद्ध थे, आज अंतिम विदाई दी जाएगी।

रायपुर: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी चुटीली शैली, व्यंग्यपूर्ण रचनाओं और सहज हास्य से लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार को रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में उनका हृदयाघात से निधन हो गया। हास्य के क्षेत्र में अपने योगदान से साहित्य और संस्कृति जगत में अमिट छाप छोड़ने वाले डॉ. दुबे 67 वर्ष के थे।

उनकी हालत बीते कुछ दिनों से नाजुक बनी हुई थी। कार्डियक इंस्टीट्यूट में उनका इलाज कर रहे वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें पहले हार्ट अटैक आया, जिसके बाद जांच में दिल की धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज पाया गया। एंजियोप्लास्टी की प्रक्रिया सफल रही और स्थिति में सुधार देखा गया था, लेकिन आईसीयू में घबराहट के कारण वह अचानक कोलैप्स कर गए। तत्परता से इलाज कर उन्हें एक बार फिर रिवाइव किया गया। किडनी और ब्लड प्रेशर की स्थिति भी सामान्य होने लगी थी। मगर दोपहर को उन्हें दोबारा कार्डिएक अरेस्ट आया, जिसे डॉक्टर संभाल नहीं सके और उन्होंने अंतिम सांस ली।

उनकी अंतिम यात्रा आज शुक्रवार 27 जून को सुबह 10:30 बजे उनके रायपुर स्थित निवास, अशोका प्लेटिनम के बंगला नंबर 25 से मारवाड़ी श्मशान घाट के लिए निकलेगी। इस अवसर पर परिवार, साहित्यिक जगत, राजनीतिक क्षेत्र और प्रशंसकों में भारी शोक देखा जा रहा है।

डॉ. दुबे ने अपने जीवन में हास्य को केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज को आईना दिखाने का माध्यम बनाया। व्यंग्य और कटाक्ष में भी उनकी रचनाओं में गहरी मानवीय संवेदनाएं होती थीं। वो कहा करते थे, "जब लोग मेरी मौत की अफवाह उड़ाते हैं, मैं मुस्कुराकर कहता हूं, टाइगर अभी ज़िंदा है।" जीवन के हर पल को उन्होंने हँसी से रंगने की कोशिश की और शायद यही वजह है कि आज भी उनके निधन की खबर सुनकर लोगों की आंखें नम हैं, पर होंठों पर उनका कोई चुटीला शेर तैर रहा है।

उनके निधन पर कवि कुमार विश्वास, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रसिद्ध शायर मीर अली मीर और साहित्य-जगत की कई हस्तियों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। सभी ने ईश्वर से उनके परिजनों को इस असहनीय क्षति को सहने की शक्ति देने की कामना की है।

डॉ. सुरेंद्र दुबे को 2010 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उनका साहित्यिक सफर दूरदर्शन, कवि सम्मेलनों, और मंचीय प्रस्तुतियों से होते हुए अंतरराष्ट्रीय फलक तक पहुंचा। यूएसए, यूके, कनाडा, दुबई जैसे देशों में उन्होंने भारतीय हास्य कविता को नई पहचान दी।

उनके निधन से हिंदी हास्य साहित्य की दुनिया में जो खालीपन आया है, उसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं। उन्होंने जिस सरलता, सौम्यता और व्यंग्य के संतुलन से जनमानस को जोड़ा, वह युगों तक याद किया जाएगा।

न्यूज रिपोर्ट की पूरी टीम पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करती है।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।

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