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प्रयागराज जंक्शन पर मानव तस्करी का भंडाफोड़, सीमांचल एक्सप्रेस से 15 नाबालिग बच्चे मुक्त

प्रयागराज जंक्शन पर मानव तस्करी का भंडाफोड़, सीमांचल एक्सप्रेस से 15 नाबालिग बच्चे मुक्त

प्रयागराज जंक्शन पर आरपीएफ और जीआरपी ने मानव तस्करी का बड़ा रैकेट उजागर किया, सीमांचल एक्सप्रेस से 15 नाबालिग बच्चे मुक्त कराए गए।

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जंक्शन पर मंगलवार को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और जीआरपी ने मानव तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। सीमांचल एक्सप्रेस में सवार होकर जा रहे 15 नाबालिग बच्चों को संयुक्त अभियान के तहत तस्करों के चंगुल से आज़ाद कराया गया। यह कार्रवाई आरपीएफ, जीआरपी, चाइल्डलाइन और आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान की टीम ने मिलकर की। बताया जा रहा है कि बच्चों को पढ़ाई के नाम पर बहला-फुसलाकर लुधियाना ले जाया जा रहा था, जहां उन्हें अवैध रूप से मजदूरी कराने की योजना थी।

सूत्रों के अनुसार आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान को बिहार से सूचना मिली थी कि जोगबनी से आनंद विहार टर्मिनल जा रही सीमांचल एक्सप्रेस के जनरल और स्लीपर कोच में करीब 40 नाबालिग बच्चों को गुपचुप तरीके से पंजाब ले जाया जा रहा है। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए संस्था ने तुरंत प्रयागराज जीआरपी से संपर्क साधा और रणनीति बनाई गई। जैसे ही ट्रेन मंगलवार सुबह प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर पहुंची, जीआरपी इंस्पेक्टर अकलेश कुमार सिंह और आरपीएफ इंस्पेक्टर अमित मीना के नेतृत्व में संयुक्त टीम ने घेराबंदी कर दी।

जांच के दौरान स्लीपर कोच से चार और जनरल कोच से 11 बच्चे बरामद किए गए। कुल 15 नाबालिग, जिनकी उम्र 10 से 17 वर्ष के बीच थी, ट्रेन से उतारे गए। सभी बच्चे बिहार के विभिन्न जिलों के रहने वाले पाए गए। पूछताछ में बच्चों ने बताया कि एक ठेकेदार उन्हें पढ़ाई का झांसा देकर साथ ला रहा था, जबकि हकीकत में उन्हें मजदूरी के लिए भेजा जा रहा था। बच्चों के पास इस यात्रा से संबंधित कोई दस्तावेज या प्रमाण पत्र नहीं मिला।

ऑपरेशन के दौरान हड़कंप मचने पर रैकेट का मास्टरमाइंड ठेकेदार कुछ अन्य बच्चों के साथ भागने में सफल रहा। आरपीएफ और जीआरपी ने स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास द्वारों को सील कर उसकी तलाश की, लेकिन वह हाथ नहीं आया। फिलहाल बरामद बच्चों को चाइल्डलाइन के संरक्षण में भेज दिया गया है, जहां उनकी काउंसलिंग और देखभाल की जा रही है।

जीआरपी इंस्पेक्टर अकलेश कुमार सिंह ने कहा कि मामले की विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है और सभी संबंधित एजेंसियां मिलकर ठेकेदार की तलाश कर रही हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर अमित मीना ने बताया कि यह मामला मानव तस्करी का गंभीर उदाहरण है और एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें गठित कर दी हैं।

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि गरीब और बेसहारा परिवारों के बच्चों को पढ़ाई और रोजगार का लालच देकर किस तरह अपराधी गिरोह उनका शोषण करते हैं। प्रयागराज में हुई इस कार्रवाई ने न केवल 15 मासूमों को नई जिंदगी दी है, बल्कि मानव तस्करी के खिलाफ चल रही मुहिम को भी मजबूती प्रदान की है।

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