नई दिल्ली, 27 जुलाई: आज पूरा देश उस महान सपूत को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, जिसने अपने जीवन से न केवल विज्ञान की दुनिया में भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि करोड़ों युवाओं के दिलों में सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस भी भरा। हम बात कर रहे हैं भारत रत्न, पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और असाधारण शिक्षक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की, जिनकी आज 10वीं पुण्यतिथि है।
डॉ. कलाम का जीवन सादगी, समर्पण और संकल्प का जीवंत उदाहरण रहा। रामेश्वरम के एक मछुआरे परिवार से निकलकर राष्ट्रपति भवन तक का उनका सफर हर उस युवा के लिए एक प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी अपने सपनों को बड़ा रखता है। उन्हें दुनिया ने ‘मिसाइल मैन’ के रूप में जाना, लेकिन देशवासियों के दिलों में वे हमेशा 'जनता के राष्ट्रपति' के रूप में बसे रहे।
उनका योगदान सिर्फ रक्षा अनुसंधान या अंतरिक्ष परियोजनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने शिक्षा और युवा जागरूकता को अपनी जीवन यात्रा का केंद्र बनाया। वे बार-बार कहते थे, "सपने वो नहीं जो आप सोते वक्त देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।" यही विचार उनके हर वक्तव्य और प्रयास में झलकता था।
27 जुलाई 2015 को, जब वे अंतिम बार शिलॉंग में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान मंच पर ही उन्हें हृदयगति रुकने से निधन हो गया। उनका अंतिम क्षण भी शिक्षा को समर्पित रहा, जिससे यह सिद्ध होता है कि उन्होंने केवल शब्दों से नहीं, बल्कि अपने जीवन की अंतिम सांस तक सेवा, शिक्षा और प्रेरणा को जिया।
आज, जब देश उन्हें याद करता है, तो यह केवल उनके वैज्ञानिक या राजनैतिक योगदान के लिए नहीं, बल्कि इसलिए भी है कि उन्होंने करोड़ों भारतीयों को आत्मनिर्भरता, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति का रास्ता दिखाया। वह यह मानते थे कि अगर भारत को महान बनाना है, तो यह यात्रा गांव-गांव, स्कूल-स्कूल, और युवा-युवा से होकर ही गुजरेगी।
डॉ. कलाम का सपना था एक ऐसा भारत, जो न केवल तकनीकी रूप से समृद्ध हो, बल्कि नैतिकता और मानवीय मूल्यों में भी अग्रणी हो। उन्होंने युवाओं से बार-बार आग्रह किया कि वे सिर्फ नौकरी के पीछे न भागें, बल्कि नवाचार करें, समाज को दिशा दें और नेतृत्व की भूमिका निभाएं।
उनकी पुण्यतिथि पर यह अवसर है कि हम खुद से एक बार फिर यह वादा करें कि उनके दिखाए रास्ते पर चलकर भारत को उस ऊंचाई तक पहुंचाएं, जिसका उन्होंने सपना देखा था। आत्मनिर्भरता, नवाचार, शिक्षा, और राष्ट्रीय चरित्र – ये उनके विचारों की चार मजबूत नींव थीं, जिन पर वे भविष्य के भारत को खड़ा देखना चाहते थे।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि न केवल एक श्रद्धांजलि का दिन है, बल्कि आत्ममंथन और पुनःप्रेरणा का भी दिन है। हम सब उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर, उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लें। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व और उनके विचार युगों तक भारत को प्रेरणा देते रहेंगे।
न्यूज़ रिपोर्ट की टीम यह मानती है कि डॉ. कलाम का जीवन केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए एक जीवंत मार्गदर्शक है। उनके विचार, उनके सपने और उनका संदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने एक दशक पहले थे।
इस विशेष अवसर पर न्यूज़ रिपोर्ट परिवार की ओर से शत-शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि। हम यह संकल्प लेते हैं कि डॉ. कलाम के दिखाए मार्ग पर चलकर सच्ची पत्रकारिता के मूल्यों को निभाते हुए राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपना योगदान देते रहेंगे। डॉ. कलाम अमर रहें।
मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 10वीं पुण्यतिथि, पूरा देश दे रहा श्रद्धांजलि

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 10वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्र उन्हें 'मिसाइल मैन' व 'जनता के राष्ट्रपति' के रूप में श्रद्धांजलि दे रहा है।
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