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आगरा रेल मंडल में ट्रैक सुरक्षा हेतु USFD तकनीक का उपयोग शुरू, आंतरिक दोषों की पहचान

आगरा रेल मंडल में ट्रैक सुरक्षा हेतु USFD तकनीक का उपयोग शुरू, आंतरिक दोषों की पहचान

भारतीय रेल ने आगरा मंडल में पटरियों की सुरक्षा के लिए USFD तकनीक का उपयोग शुरू किया है, जिससे आंतरिक दोषों की पहचान कर रेल हादसों को रोका जा सके।

भारतीय रेल ने पटरियों की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए आगरा रेल मंडल में अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन यानी USFD तकनीक का उपयोग शुरू कर दिया है। इस तकनीक के जरिए पटरियों की गहराई तक जांच की जा रही है और उन आंतरिक दोषों की पहचान की जा रही है जो सामान्य जांच के दौरान नजर नहीं आते। मंडल रेल प्रबंधक गगन गोयल ने बताया कि रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के साथ साथ अपने बुनियादी ढांचे को भी आधुनिक बनाने में तेजी ला रहा है। उन्होंने कहा कि कई रेल हादसों के पीछे पटरियों का क्षतिग्रस्त होना प्रमुख कारण रहा है, इसलिए मंडल ने समय पर निगरानी और मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए USFD तकनीक पर जोर दिया है।

आगरा मंडल में इस तकनीक का उपयोग पटरियों की माइक्रो लेवल जांच के लिए किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ट्रेनें सुरक्षित तरीके से चल सकें। USFD मशीनें पटरियों के अंदर मौजूद छोटे से छोटे दोष का भी पता लगाने में सक्षम हैं, जिससे आवश्यक मरम्मत काम समय पर पूरा किया जा सके। वर्तमान में मंडल के लगभग 1509 किलोमीटर लंबे ट्रैक की नियमित जांच इस तकनीक के माध्यम से की जा रही है। जांच की आवृत्ति उस सेक्शन पर निर्भर करती है जहां ट्रेनों का आवागमन अधिक है। ऐसे सेक्शनों में दो से चार महीने के भीतर बार बार परीक्षण किया जाता है ताकि किसी भी संभावित खतरे को पहले ही पहचानकर दूर किया जा सके।

मंडल में इस समय नौ USFD टीमें गठित की गई हैं जिनमें 13 प्रशिक्षित इंजीनियर शामिल हैं। सभी इंजीनियर बी स्कैन USFD मशीनों से लैस हैं जो जांच के दौरान पटरियों की आंतरिक स्थिति का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करती हैं और तुरंत विश्लेषण की सुविधा देती हैं। इसके अलावा वेल्ड की सटीक जांच के लिए सभी टीमों को डिजिटल वेल्ड टेस्टर भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिनकी मदद से वेल्डिंग में मौजूद खामियों का सटीक पता लगाया जा सकता है। पूरी प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाता है और विश्लेषण करने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाती है।

रेल मंडल ने वर्ष 2025 से 2026 के दौरान कुल 3612.1 किलोमीटर ट्रैक की जांच की। इसके साथ ही 24527 वेल्ड, 1673 टर्नआउट और 1745 स्वीच एक्सपेंशन जॉइंट की भी बारीकी से जांच की गई। इस दौरान कई नए फ्लॉ चिन्हित हुए, जिनकी तत्काल मरम्मत कर दी गई ताकि यात्री गाड़ियों और मालगाड़ियों के संचालन में किसी प्रकार की बाधा न आए। मंडल का कहना है कि USFD तकनीक के नियमित उपयोग से भविष्य में रेल हादसों की संभावना काफी कम हो जाएगी और ट्रैक संरक्षा के स्तर में बड़ा सुधार होगा।

आगरा मंडल के इंजीनियरों को समय समय पर आरडीएसओ लखनऊ और इरिसेन पुणे जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में विशेषज्ञ प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। इससे इंजीनियर नवीनतम तकनीकी मानकों से अवगत रहते हैं और सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने में सक्षम होते हैं। रेलवे प्रशासन का कहना है कि आधुनिक तकनीक के उपयोग से भविष्य में यात्रियों को अधिक सुरक्षित यात्रा अनुभव प्राप्त होगा और पटरियों से संबंधित खतरों को काफी हद तक खत्म किया जा सकेगा।

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