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ऑपरेशन सिंदूर में सैटेलाइट्स की सफलता, ISRO प्रमुख ने IIT BHU में बताया भारत का स्पेस विजन

ऑपरेशन सिंदूर में सैटेलाइट्स की सफलता, ISRO प्रमुख ने IIT BHU में बताया भारत का स्पेस विजन

आईआईटी बीएचयू के दीक्षांत समारोह में इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, भारत का 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा।

वाराणसी के प्रतिष्ठित आईआईटी बीएचयू के 14वें दीक्षांत समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन ने देश के वैज्ञानिक सामर्थ्य पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सैटेलाइट्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में भी अपनी तकनीक से अहम योगदान दे रहा है। उनके मुताबिक भारत के सैटेलाइट अब केवल वैज्ञानिक शोध या संचार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश की रक्षा में भी मजबूती से अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि वर्ष 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station) होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 पर भी कार्य तेजी से चल रहा है और भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक स्पेस पावर के रूप में उभरेगा। वी. नारायणन ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अंतरिक्ष क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और इस दिशा में इसरो के वैज्ञानिक लगातार नई ऊंचाइयां छू रहे हैं।

आईआईटी बीएचयू के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह संस्थान न केवल शिक्षा का केंद्र है बल्कि भविष्य की तकनीकी क्रांति का आधार भी है। वाराणसी की इस पवित्र धरती पर स्थित आईआईटी बीएचयू को उन्होंने "ज्ञान और नवाचार की प्रयोगशाला" बताया। उन्होंने छात्रों को संदेश दिया कि वे अपनी शिक्षा और शोध से देश को नई दिशा दें।

समारोह के दौरान वी. नारायणन और आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने मेधावी छात्रों को सम्मानित किया। केमिकल इंजीनियरिंग की छात्रा अनन्या सिंह को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक (President Gold Medal) से नवाजा गया। अनन्या ने कुल 17 पुरस्कार अपने नाम किए, जिनमें 13 स्वर्ण पदक, 1 रजत पदक और 3 विशेष सम्मान शामिल हैं। यह किसी भी छात्र द्वारा प्राप्त अब तक का सर्वाधिक सम्मान है।

इसके अलावा डायरेक्टर गोल्ड मेडल मैथेमेटिकल साइंसेज विभाग के आदित्य कुलकर्णी और सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सुयश विजय को मिला। समारोह में कुल 1,979 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई, जबकि 62 छात्रों को कुल 123 मेडल और पुरस्कार दिए गए, जिनमें 97 गोल्ड, 2 सिल्वर और 24 विशेष पुरस्कार शामिल रहे।

वी. नारायणन ने कहा कि भारत ने चंद्रयान-3 के जरिए जो उपलब्धि हासिल की है, वह पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से प्राप्त आंकड़े भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए अत्यंत उपयोगी होंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आने वाले वर्षों में भारत मंगल, शुक्र और अन्य ग्रहों की खोज के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।

दीक्षांत समारोह के अंत में छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और संस्थान के प्रति आभार व्यक्त किया। पूरे समारोह में गर्व और उत्साह का माहौल देखने को मिला।

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