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जौनपुर: नाबालिग से दुष्कर्म-अपहरण मामले में 20 साल का सश्रम कारावास

जौनपुर: नाबालिग से दुष्कर्म-अपहरण मामले में 20 साल का सश्रम कारावास

जौनपुर अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म-अपहरण के दोषी अमित गौतम को 20 वर्ष के सश्रम कारावास व 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई।

जौनपुर: नाबालिग से दुष्कर्म और अपहरण के एक मामले में जौनपुर की अदालत ने आरोपी युवक को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष के सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय रूपाली सक्सेना की अदालत ने सुनाया। अदालत ने कहा कि यह अपराध समाज और कानून दोनों के लिए गंभीर है और इस पर समझौता या बयान बदलने से आरोपी को राहत नहीं मिल सकती।

मामला सुजानगंज थाना क्षेत्र का है, जहां 5 दिसंबर 2023 को एक व्यक्ति ने अपनी 17 वर्षीय बेटी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पिता ने बताया था कि रात लगभग 2 बजे उसकी बेटी को गांव सरैया निवासी अमित गौतम, पुत्र राजेंद्र बहला-फुसलाकर भगा ले गया था। बताया गया कि आरोपी पहले से ही लड़की से मोबाइल फोन पर बातचीत करता था।

मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान परिस्थितियां बदल गईं। पीड़िता ने अदालत में अपने बयान से मुकरते हुए बताया कि उसने अमित से विवाह कर लिया है और अब दोनों के बीच एक बच्चा भी है। इसके बावजूद अदालत ने अपने फैसले में कहा कि घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी, और उसकी सहमति कानूनन मान्य नहीं मानी जा सकती।

अपर सत्र न्यायाधीश रूपाली सक्सेना ने कहा कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी अमित गौतम को दोषी ठहराया जाता है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति का है, इसलिए आरोपी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा दी जाती है। अर्थदंड न देने की स्थिति में अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी।

इस फैसले को जौनपुर की न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है, क्योंकि इसमें अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि नाबालिग से जुड़े अपराधों में समझौते या विवाह के बाद भी अभियुक्त को सजा से मुक्ति नहीं मिल सकती। इससे ऐसे मामलों में न्यायिक सख्ती का संदेश गया है।

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