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कानपुर की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, नवंबर में AQI बहुत खराब

कानपुर की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, नवंबर में AQI बहुत खराब

नवंबर के पहले पखवाड़े में शहर की हवा हुई प्रदूषित, तापमान गिरावट और वाहनों का धुआं मुख्य कारण बना।

नवंबर का आधा महीना बीतते ही शहर की हवा एक बार फिर प्रदूषण के दबाव में आ गई है। बदलते मौसम और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण स्रोतों ने वायु गुणवत्ता को तेजी से प्रभावित किया है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 1 से 17 नवंबर के बीच कई दिनों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर मानक सीमा को पार करता रहा। सबसे गंभीर स्थिति 8, 12, 13, 14 और 15 नवंबर को देखने को मिली, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। इनमें से 8 नवंबर को पीएम 2.5 का स्तर 256 तक पहुंच गया, जो इस महीने का सबसे खराब स्तर माना जा रहा है।

2 नवंबर से 17 नवंबर तक के आंकड़ों की समीक्षा करने पर पता चलता है कि शहर की हवा ज्यादातर दिनों में खराब श्रेणी में बनी रही। 10 से 15 नवंबर के बीच लगातार छह दिनों तक प्रदूषण में तेजी से वृद्धि देखी गई और हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट होती रही। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी अजीत कुमार सुमन का कहना है कि सर्दी की शुरुआत, तापमान में कमी, वाहनों से निकलने वाला धुआं, खुले में कचरा जलाना और निर्माण कार्यों का बिना रोक टोक जारी रहना प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। तापमान गिरने के साथ हवा का रूख धीमा होने पर प्रदूषित कण जमीन के पास जमा हो जाते हैं जिससे सांस लेने में भी कठिनाई महसूस होने लगती है।

कानपुर के तीन सक्रिय वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों किदवई नगर, नेहरू नगर और एनएसआई कल्याणपुर पर मंगलवार सुबह वायु गुणवत्ता क्रमशः 104, 103 और 108 दर्ज की गई। यह स्थिति मध्यम से खराब श्रेणी में आती है और साफ संकेत देती है कि प्रदूषण का स्तर अभी भी चिंताजनक है। विभागीय टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं और जहां भी प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां नजर आएंगी, वहां जल्द कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यदि समय रहते प्रदूषण स्रोतों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है।

शहरवासियों से अपील की गई है कि वे अपनी ओर से प्रदूषण रोकने में सहयोग करें। खुले में कचरा ना जलाएं, वाहन का अनावश्यक उपयोग न करें और घर तथा कार्यस्थल पर धूल उड़ने वाली गतिविधियों को नियंत्रित रखें। विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर से फरवरी तक प्रदूषण के स्तर में वृद्धि आम है, लेकिन यदि नागरिक और प्रशासन दोनों मिलकर प्रयास करें तो वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना रहती है।

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