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कानपुर: फुटपाथ पर गणेश प्रतिमाएं हटाने पहुंचा नगर निगम का बुलडोजर, महिला मूर्तिकार ने लगाई गुहार

कानपुर: फुटपाथ पर गणेश प्रतिमाएं हटाने पहुंचा नगर निगम का बुलडोजर, महिला मूर्तिकार ने लगाई गुहार

कानपुर में नगर निगम ने फुटपाथ से गणेश प्रतिमाएं हटाने की कार्रवाई शुरू की, महिला मूर्तिकार ने रोते हुए गुहार लगाई।

कानपुर: निराला नगर क्षेत्र में शुक्रवार को एक असाधारण दृश्य देखने को मिला, जब नगर निगम की टीम अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के तहत गणेश प्रतिमाएं हटाने के लिए बुलडोजर लेकर पहुंच गई। फुटपाथ पर स्थापित मूर्तियों को देखकर नगर निगम की टीम ने कार्रवाई शुरू की, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। मौके पर मौजूद मूर्ति कलाकारों में अफरा-तफरी मच गई और वे अपनी कला तथा आस्था दोनों के लिए सड़क पर उतर आए।

मौके पर खुद मेयर प्रमिला पांडेय भी मौजूद रहीं, जो नगर निगम की इस कार्रवाई की निगरानी कर रही थीं। मूर्तिकारों का कहना था कि वे केवल कुछ दिन के लिए प्रतिमाएं बनाकर बिक्री करते हैं और यह उनका साल भर के रोज़गार का प्रमुख जरिया होता है। एक महिला मूर्तिकार, जो अपनी बनाई प्रतिमाओं के पास बैठी थीं, जब बुलडोजर उनकी ओर बढ़ता दिखा, तो वह रोते हुए हाथ जोड़कर उसके सामने खड़ी हो गईं। यह दृश्य आसपास खड़े लोगों की आंखें भी नम कर गया।

मूर्तिकारों ने मेयर से भावुक अपील की कि कम से कम गणेश चतुर्थी तक उन्हें अपना काम करने दिया जाए। काफी मान-मनौव्वल और बातचीत के बाद मेयर प्रमिला पांडेय ने कलाकारों को तीन घंटे की मोहलत दी, ताकि वे अपनी प्रतिमाएं स्वयं हटा सकें और किसी प्रकार की क्षति से बच सकें। साथ ही नगर निगम की टीम ने मौके पर कुछ मूर्ति विक्रेताओं से ‘यूजर चार्ज’ के नाम पर दो हजार रुपये की रसीद भी काटी, जिससे कुछ कलाकारों में असंतोष देखा गया।

मेयर प्रमिला पांडेय ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि सार्वजनिक स्थानों विशेष रूप से फुटपाथ पर अतिक्रमण से राहगीरों को कठिनाई होती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि नगर निगम कलाकारों की पीड़ा को समझता है और यही कारण है कि उन्हें समय देकर कार्रवाई में लचीलापन दिखाया गया।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर शहर में त्योहारों के दौरान अस्थायी व्यवसाय और प्रशासनिक कार्रवाई के बीच संतुलन की चुनौती को उजागर किया है। जहां एक ओर शहर को सुव्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय कारीगरों की जीविका और आस्था भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

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