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काशी तमिल संगमम 4: बीएचयू में दक्षिण भारतीय संस्कृति पर फोटो प्रतियोगिता आयोजित

काशी तमिल संगमम 4: बीएचयू में दक्षिण भारतीय संस्कृति पर फोटो प्रतियोगिता आयोजित

काशी तमिल संगमम 4 के तहत बीएचयू में दक्षिण भारतीय सभ्यता व वास्तुकला पर फोटो प्रतियोगिता हुई, 30 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।

काशी तमिल संगमम 4 के तहत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय में सोमवार को एक विशेष फोटो प्रतियोगिता आयोजित की गई। संकाय के कला विशेषज्ञ मनीष अरोड़ा और कृष्णा सिंह की अध्यक्षता में हुई इस प्रतियोगिता में 30 से अधिक छात्रों ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई। प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य काशी में मौजूद दक्षिण भारतीय सभ्यता, मंदिर वास्तुकला और सांस्कृतिक जुड़ाव को छात्रों की नजर से सामने लाना था।

प्रतियोगिता के लिए छात्रों को काशी की उन गलियों और घाटों का भ्रमण कराया गया जहां दक्षिण भारतीय शैली के मंदिर और स्थापत्य कला मौजूद हैं। प्रतिभागियों ने कामकोटेश्वर मंदिर, हनुमान घाट और हरिश्चंद्र घाट पर स्थित दक्षिण भारतीय धरोहरों को अपने कैमरे में कैद किया। कई छात्रों ने बताया कि यह अवसर उनके लिए एक अनूठा अनुभव था, क्योंकि इससे उन्हें दक्षिण भारत की कला और संस्कृति को नजदीक से समझने का मौका मिला।

काशी तमिल संगमम 4 का औपचारिक उद्घाटन 2 दिसंबर को होगा, लेकिन उससे पहले बीएचयू ने प्री-कंपटीशन गतिविधियों की श्रृंखला शुरू कर दी है। कार्यक्रम भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य काशी और तमिल परंपरा के सांस्कृतिक सेतु को और मजबूत करना है। विश्वविद्यालय परिसर और शहर में विभिन्न सांस्कृतिक, कलात्मक और अकादमिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनसे छात्रों में उत्साह बढ़ा है।

फोटो प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों ने दक्षिण भारतीय मंदिरों की नक्काशी, विशिष्ट स्थापत्य और घाटों की आध्यात्मिकता को अलग-अलग दृष्टिकोणों से कैमरे में उतारा। कई छात्रों ने अपनी तस्वीरों को विषय के आधार पर रील के रूप में भी प्रस्तुत किया। निर्णायकों ने छात्रों की रचनात्मकता और उनके कलात्मक दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि ऐसी गतिविधियां छात्रों को न केवल तकनीकी रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध करती हैं।

बीएचयू प्रशासन ने बताया कि ऐसे आयोजनों से पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य और मजबूत होता है, क्योंकि ये काशी और तमिल परंपरा दोनों के सांस्कृतिक मूल्यों को एक साथ जोड़ते हैं। आने वाले दिनों में और भी कई सांस्कृतिक व रचनात्मक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

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