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वाराणसी: काशी विश्वनाथ न्यास भेजेगा नवदुर्गा, विशालाक्षी, दश महाविद्या को श्रृंगार सामग्री

वाराणसी: काशी विश्वनाथ न्यास भेजेगा नवदुर्गा, विशालाक्षी, दश महाविद्या को श्रृंगार सामग्री

काशी विश्वनाथ न्यास शारदीय नवरात्र में नवदुर्गा, विशालाक्षी व दस महाविद्या मंदिरों को श्रृंगार सामग्री भेजेगा, परंपरा का विस्तार।

वाराणसी में शारदीय नवरात्र की तैयारियां इस बार भी विशेष होंगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से इस वर्ष भी एक अनूठी परंपरा निभाई जाएगी। नवाचार के तहत पिछले वर्ष की तरह इस बार भी नवरात्र के अवसर पर भगवान विश्वेश्वर की ओर से नौ दुर्गा और देवी विशालाक्षी के साथ दस महाविद्याओं को शृंगार सामग्रियां भेजी जाएंगी। यह पहल नवरात्र के धार्मिक उत्सव को और अधिक भव्य और व्यापक स्वरूप प्रदान करेगी।

न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत पिछले साल हुई थी जब पहली बार नवरात्र में देवी विशालाक्षी और नव दुर्गा मंदिरों को शृंगार सामग्री भेजी गई थी। इस बार इस दायरे को और बढ़ाते हुए दस महाविद्याओं की देवियों को भी शृंगार की सामग्रियां भेजने की व्यवस्था की गई है। उनका कहना है कि नवरात्र केवल शक्ति पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह शिव और शक्ति दोनों की आराधना का उत्सव है।

शारदीय नवरात्र में पूजी जाने वाली नौ दुर्गाओं में माता शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री शामिल हैं। इन नौ देवियों के साथ ही काशी के नव गौरी मंदिरों में भी शृंगार सामग्री भेजी जाएगी।

इसके अतिरिक्त दस महाविद्याओं की देवियों को भी इस वर्ष से शामिल किया गया है। इनमें देवी काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमलात्मिका सम्मिलित हैं। इन देवियों की पूजा शास्त्रों में विशेष महत्व रखती है और नवरात्र के दौरान इन्हें विशेष रूप से स्मरण किया जाएगा।

न्यास की ओर से बताया गया है कि नवरात्र भर विश्वनाथ मंदिर धाम में मौजूद देवियों की विधिवत पूजा और आराधना की जाएगी। धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को भी इस नवाचार के बारे में जानकारी दी जाएगी ताकि परंपरा का धार्मिक महत्व और अधिक स्पष्ट हो सके।

यह पहल काशी विश्वनाथ धाम के धार्मिक महत्व को और गहरा करने के साथ ही वाराणसी की आध्यात्मिक विरासत को नई ऊंचाई पर ले जाती है। नवरात्र में होने वाला यह आयोजन न केवल भक्तों की आस्था को प्रबल करेगा बल्कि देवियों की शक्ति उपासना को और अधिक सशक्त रूप से स्थापित करेगा।

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