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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का 101 वर्ष की उम्र में निधन

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का 101 वर्ष की उम्र में निधन

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन, जो वामपंथी आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे, का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिससे वाम राजनीति को एक अपूरणीय क्षति हुई है।

तिरुवनंतपुरम: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी आंदोलन के पुरोधा वी.एस. अच्युतानंदन का सोमवार को 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ओर से की गई।

वी.एस. अच्युतानंदन, जिन्हें आमतौर पर "वी.एस." के नाम से जाना जाता था, भारतीय राजनीति के सबसे वरिष्ठ और विचारधारा-निष्ठ नेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने लगभग आठ दशक लंबे राजनीतिक जीवन में न केवल वामपंथी विचारधारा का विस्तार किया बल्कि भ्रष्टाचार और सामाजिक अन्याय के खिलाफ मुखर आवाज बनकर उभरे। उनका जीवन सादगी, प्रतिबद्धता और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है।

1919 में अलापुझा जिले के एक किसान परिवार में जन्मे अच्युतानंदन ने किशोरावस्था में ही मजदूर आंदोलनों से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उन्होंने केरल की राजनीति को नई दिशा दी और कई सामाजिक सुधारों को आगे बढ़ाया। 2006 से 2011 तक वे केरल के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों, पर्यावरण संरक्षण और पारदर्शी शासन के लिए उल्लेखनीय पहल की।

राजनीति से परे, अच्युतानंदन ने सामाजिक जीवन में भी गहरी छाप छोड़ी। वे एक सच्चे जननेता थे, जिन्होंने गरीबों, श्रमिकों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष किया। पार्टी अनुशासन के प्रति उनकी निष्ठा, आंतरिक लोकतंत्र की पैरवी और विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें न सिर्फ पार्टी में बल्कि आम जनमानस में भी विशेष स्थान दिलाया।

उनकी राजनीतिक यात्रा कई बार पार्टी के अंदर असहमति और वैचारिक बहसों से भी गुजरी, लेकिन वे हमेशा वैचारिक दृढ़ता के साथ खड़े रहे। वे पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे और सीपीआई(एम) के स्थापना काल से संगठन की हर बड़ी रणनीति और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

वी.एस. अच्युतानंदन का निधन भारतीय वाम राजनीति और जन आंदोलनों के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके जाने से एक युग का अंत हो गया है। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में राजकीय शोक की घोषणा की है और उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां सरकारी सम्मान के साथ की जा रही हैं।

देशभर से राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने अच्युतानंदन को श्रद्धांजलि अर्पित की है और उन्हें एक सिद्धांतवादी, कर्मठ और जननायक नेता के रूप में याद किया है।

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