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लखनऊ: मायावती बोलीं, सपा-कांग्रेस नहीं, बसपा ही मुस्लिमों के हक की पार्टी

लखनऊ: मायावती बोलीं, सपा-कांग्रेस नहीं, बसपा ही मुस्लिमों के हक की पार्टी

बसपा प्रमुख मायावती ने मुस्लिम नेताओं संग बैठक में सपा-कांग्रेस पर साधा निशाना, बसपा द्वारा मुस्लिम समाज के लिए किए कार्यों को गिनाया।

लखनऊ: बुधवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के मुस्लिम नेताओं के साथ पहली बार औपचारिक बैठक की, यह बैठक बसपा के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के सभी 75 जिलों से आए जिलाध्यक्षों समेत करीब 450 मुस्लिम नेता शामिल हुए। बैठक में मायावती के साथ उनके भतीजे आकाश आनंद और बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद थे। बैठक की शुरुआत में आकाश आनंद ने मंच पर पहुंचकर मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

इस बैठक की सबसे खास बात यह रही कि बसपा कार्यालय के जिस हॉल में बैठक हुई, वहां मुस्लिम नेताओं को पहली पंक्ति में बैठाया गया, जबकि कई वरिष्ठ बसपा नेता पीछे की सीटों पर बैठे नजर आए। बैठक में मायावती ने मुस्लिम समाज के लिए बसपा सरकारों द्वारा किए गए 100 कार्यों की सूची नेताओं को सौंपी और कहा कि वे इन तथ्यों को लेकर जनता के बीच जाएं ताकि यह साबित हो सके कि बसपा ने हमेशा अल्पसंख्यक समाज के उत्थान के लिए वास्तविक काम किया है।

मायावती ने बैठक में कहा कि मुस्लिम समाज को अब सपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के झूठे वादों से सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों ने मुस्लिम समाज का सिर्फ राजनीतिक इस्तेमाल किया है जबकि बसपा ने उनके सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान के लिए ठोस कदम उठाए हैं। मायावती ने कहा कि यदि मुस्लिम समाज एकजुट होकर बसपा का समर्थन करेगा, तो भाजपा जैसी पार्टियों की विभाजनकारी राजनीति को हराया जा सकता है।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार में कानून व्यवस्था सख्त रही और सांप्रदायिक सौहार्द को हमेशा प्राथमिकता दी गई। उन्होंने दावा किया कि बसपा की सरकार ने राज्य को दंगामुक्त बनाया और गरीबों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके दावे सिर्फ हवा में किए गए वादे हैं, जिनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है।

बैठक के दौरान मायावती ने शमसुद्दीन राईन का उदाहरण देते हुए चेतावनी भी दी कि पार्टी में किसी भी तरह का भीतरघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी को न सिर्फ विरोधी दलों के घिनौने हथकंडों से बल्कि स्वार्थी और अवसरवादी नेताओं से भी सावधान रहना होगा, क्योंकि ऐसे लोग पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं।

करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक में 75 जिला अध्यक्ष, 90 कोऑर्डिनेटर, 36 मुस्लिम भाईचारा कमेटी के अध्यक्ष और बसपा की कोर कमेटी के 36 पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक के बाद सभी को पीले रंग की फाइल दी गई जिसमें अल्पसंख्यक समाज के लिए बसपा सरकारों द्वारा किए गए 100 प्रमुख कार्यों की सूची शामिल थी।

मायावती की यह बैठक उनके हालिया राजनीतिक अभियानों की कड़ी मानी जा रही है। पिछले कुछ हफ्तों में उन्होंने चार बड़े आयोजन किए, जिनमें दो रणनीतिक बैठकें और एक विशाल रैली शामिल है। उन्होंने हाल ही में ‘मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन’ का गठन भी किया था, जिसके चार दिन बाद यह विशेष बैठक हुई। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बैठक बसपा की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत पार्टी अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

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