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पुतिन-मोदी मुलाकात ने बनाई वैश्विक सुर्खियाँ, भारत का दमदार भू-राजनीतिक संदेश

पुतिन-मोदी मुलाकात ने बनाई वैश्विक सुर्खियाँ, भारत का दमदार भू-राजनीतिक संदेश

पीएम मोदी द्वारा पुतिन का एयरपोर्ट पर स्वागत भारत के मजबूत भू-राजनीतिक संदेश के रूप में देखा गया, अमेरिकी-यूरोपीय मीडिया ने इसे सराहा।

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एयरपोर्ट जाकर किया गया स्वागत न केवल दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बना, बल्कि अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया में भी यह खबर प्रमुखता से छाई रही। द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉशिंगटन पोस्ट, द वॉल स्ट्रीट जर्नल सहित कई प्रमुख पत्रों ने इसे भारत की ओर से एक “स्ट्रॉन्ग जियोपॉलिटिकल स्टेटमेंट” बताया अर्थात ऐसा स्पष्ट भू-राजनीतिक संकेत जो यह दर्शाता है कि भारत अपनी विदेश नीति को किसी भी बाहरी दबाव से स्वतंत्र रखकर चल रहा है।

अमेरिकी विश्लेषकों के अनुसार, पुतिन के स्वागत में प्रधानमंत्री मोदी का एयरपोर्ट पहुंचना और पुतिन का अपनी सुरक्षा प्रोटोकॉल वाली कार छोड़कर मोदी की कार में बैठकर पीएम आवास तक सफर करना। दोनों ही घटनाएँ बताती हैं कि भारत और रूस के बीच विश्वास का संबंध अभी भी मजबूत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ टैरिफ और अन्य मुद्दों पर तनाव के बीच भी भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से कोई समझौता नहीं किया है।
पश्चिमी प्रेस ने स्पष्ट लिखा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों पर आधारित विदेश नीति चलाता है, और किसी वैश्विक धुरी या गुट की तरफ झुकने की बजाय स्वतंत्र कूटनीतिक रास्ते पर विश्वास रखता है।

रूस के प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म आरटी, तास और रॉसिया-24 ने भी पीएम मोदी के एयरपोर्ट स्वागत को “असाधारण सम्मान” बताया। रिपोर्टों में कहा गया कि राष्ट्रपति पुतिन की विदेश यात्राएँ बेहद सीमित होती हैं, और जब वे विदेश जाते हैं तो आमतौर पर अपनी ही सुरक्षा व्यवस्था वाली कार में यात्रा करते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए पीएम मोदी की कार में सफर किया, जिसे रूस के विशेषज्ञों ने भारत और रूस के बीच व्यक्तिगत एवं रणनीतिक संबंधों की गहराई का प्रतीक बताया।
रूसी विश्लेषकों ने याद दिलाया कि भारत ऐसे सम्मान केवल उन नेताओं को देता है, जिनके साथ उसके संबंध ऐतिहासिक, रणनीतिक और भावनात्मक तीनों स्तरों पर मजबूत रहे हों।

अमेरिका और यूरोप के रणनीतिक हलकों ने इस दौरे की टाइमिंग को भी बेहद महत्वपूर्ण माना। उनके अनुसार, व्यापारिक टैरिफ, तकनीकी निर्यात प्रतिबंधों और अन्य नीतिगत मतभेदों के कारण भारत–अमेरिका संबंधों में हाल ही में कुछ कड़वाहट देखने को मिली है। ऐसे समय में पुतिन की यात्रा और मोदी का एयरपोर्ट स्वागत भारत की बहुध्रुवीय विदेश नीति का स्पष्ट प्रदर्शन है।

द वॉशिंगटन पोस्ट और द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि नई दिल्ली पश्चिमी दबावों से अप्रभावित रहकर रूस के साथ रणनीतिक निरंतरता बनाए हुए है। विश्लेषकों का मानना है कि मोदी का व्यक्तिगत स्वागत और पुतिन का कार बदलना दोनों घटनाएँ यह बताती हैं कि भारत किसी वैश्विक गुट का स्थायी सदस्य बनने को तैयार नहीं है और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखेगा।

बीबीसी, फाइनेंशियल टाइम्स और द इकनॉमिस्ट की रिपोर्टों में यह प्रमुखता से कहा गया कि भारत ऊर्जा, रक्षा, परमाणु तकनीक और अंतरिक्ष सहयोग को लेकर रूस को अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है। यूरोपीय विशेषज्ञों ने कहा कि पुतिन की भारत यात्रा स्वयं में यह संकेत है कि रूस नई दिल्ली को अपनी प्राथमिकताओं में शीर्ष स्थान पर रखता है।

इन रिपोर्टों में भारत की बहुध्रुवीय विदेश नीति को मजबूत निर्णय बताया गया। विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन संघर्ष के बीच भी भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को संतुलित, परंतु स्थिर रखा है।

पूर्व राजनयिक के.पी. फैबियन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान रूस–यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति स्पष्ट रूप से रखेंगे। उन्होंने याद दिलाया कि पीएम मोदी ने पहले भी पुतिन को कहा था कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और भारत चाहता है कि यह संघर्ष जल्द समाप्त हो।

फैबियन ने यह भी जोड़ा कि भारत के आग्रह के बावजूद रूस के दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्यों में अंतर आने की संभावना कम है और पुतिन को कुछ वैश्विक नेताओं, विशेषकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी समर्थन प्राप्त है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपनी “असुरक्षा” के कारण विदेशी मेहमानों को नेता प्रतिपक्ष से मिलने नहीं देती। उन्होंने कहा कि यह परंपरा रही है कि विदेश से आने वाले नेता विपक्ष से मुलाकात करते हैं, लेकिन मोदी सरकार और विदेश मंत्रालय इस परंपरा का पालन नहीं कर रहे।

राहुल गांधी ने याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के समय भी यह परंपरा निभाई जाती थी। उन्होंने दावा किया कि विदेश यात्राओं के दौरान भी सरकार विदेशी नेताओं को उनसे मिलने की सलाह नहीं देती।

भाजपा ने राहुल के बयान को “सरासर झूठ” बताते हुए खारिज कर दिया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की कई विदेशी नेताओं जिनमें न्यूजीलैंड और मॉरीशस के प्रधानमंत्री शामिल हैं, से मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा ऐसी कोई रोक नहीं है।
भाजपा नेताओं ने राहुल पर आरोप लगाया कि वे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं और अनावश्यक विवाद उत्पन्न करते हैं।

पुतिन की भारत यात्रा ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि नई दिल्ली अपनी रणनीतिक स्वायत्तता, संतुलन और बहुध्रुवीय कूटनीति को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत, पुतिन का प्रोटोकॉल तोड़ना, और पश्चिमी मीडिया की तीखी प्रतिक्रिया। ये सभी घटनाएँ भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और आत्मविश्वास का प्रतीक हैं।

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