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संसद में कफ सीरप से मौतों का मामला उठा, सांसद प्रिया सरोज ने सख्त जांच की मांग की

संसद में कफ सीरप से मौतों का मामला उठा, सांसद प्रिया सरोज ने सख्त जांच की मांग की

सांसद प्रिया सरोज ने संसद में कफ सीरप से बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया, सख्त जांच और नियंत्रण की मांग की।

सांसद प्रिया सरोज ने गुरुवार को संसद में कफ सीरप से जुड़ा गंभीर मुद्दा उठाया और कहा कि यह मामला केवल प्रशासन या कानून व्यवस्था से संबंधित नहीं है बल्कि सीधे तौर पर आम लोगों की सेहत को प्रभावित करता है। उन्होंने कफ सीरप की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाते हुए सरकार से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। प्रिया सरोज ने यह भी कहा कि बच्चों की जान जा चुकी है और ऐसे में कफ सीरप के उत्पादन से लेकर वितरण तक सख्त नियंत्रण लागू करना बेहद जरूरी है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाए ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोबारा न हो सके। वाराणसी से उठे इस मुद्दे ने अब प्रदेश के कई जिलों से होते हुए पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर लिया है और लगातार सामने आ रही जानकारियां यह संकेत देती हैं कि जहरीली दवा की सप्लाई और बिक्री में एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय रहा है। जौनपुर और वाराणसी सहित पूर्वांचल के कई जिलों में अब तक 98 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। सांसद ने कहा कि इस नेटवर्क में शामिल हर व्यक्ति की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

इसी बीच कफ सीरप तस्करी के सरगना माने जा रहे शुभम जायसवाल के खिलाफ पुलिस कमिश्नरेट की विशेष जांच टीम ने पहली बड़ी आर्थिक कार्रवाई करते हुए उसके और उसके परिवार के 12 बैंक खातों में जमा दो करोड़ रुपये को फ्रीज कर दिया है। यह कार्रवाई कोडिन युक्त कफ सीरप की तस्करी में बढ़ती गतिविधियों के चलते की गई है। जांच अधिकारियों ने बताया कि पूरे नेटवर्क का अनुमानित कारोबार दो हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है जिसके आधार पर एसआईटी तेजी से कार्रवाई में जुटी हुई है। अधिकारियों के अनुसार शुभम जायसवाल की कई अचल संपत्तियों का भी पता लगाया गया है जिन्हें बीएनएस 2023 के तहत आवश्यक प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीज किया जाएगा। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि यह मामला बेहद गंभीर है और इसलिए एसआईटी की जांच को नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर ड्रग विभाग की एफआईआर में भारी मात्रा में दर्ज खरीद से संबंधित बिंदुओं में अड़चन नहीं आती तो जांच और आगे बढ़ चुकी होती। हालांकि अब 26 दवा दुकानों की खरीद बिक्री के संख्यात्मक आंकड़े जुटा लिए गए हैं जिनमें से पांच दुकानें अस्तित्व में ही नहीं मिलीं। इनके मालिकों की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। शेष 21 दवा दुकानों में कफ सीरप की बिक्री के आंकड़े सामने आए हैं जिनके अनुसार तीन वर्षों में सबसे अधिक छह लाख और सबसे कम 90 हजार शीशियां बेची गईं। कमिश्नर ने यह भी कहा कि लखनऊ एसटीएफ की जांच पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है और अगर अमित टाटा से पूछताछ के दौरान वाराणसी से जुड़े तथ्य सामने आते हैं तो एसआईटी उन पर भी कार्रवाई करेगी और उन्हें आरोपित बनाएगी। पूरे प्रकरण को लेकर जिले से लेकर राज्य स्तर तक सतर्कता बढ़ा दी गई है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और नाम उजागर हो सकते हैं।

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