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मुंबई से अगवा 3 साल की बच्ची 6 माह बाद वाराणसी में सुरक्षित मिली, माता-पिता से हुआ भावनात्मक पुनर्मिलन

मुंबई से अगवा 3 साल की बच्ची 6 माह बाद वाराणसी में सुरक्षित मिली, माता-पिता से हुआ भावनात्मक पुनर्मिलन

मुंबई से छह माह पूर्व अगवा हुई तीन साल की बच्ची वाराणसी में सकुशल मिली, बाल दिवस पर माता-पिता से हुआ भावनात्मक पुनर्मिलन।

वाराणसी: मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से 20 मई 2025 को मां की गोद से अगवा हुई सिर्फ तीन साल की बच्ची आखिरकार छह महीने बाद सुरक्षित मिल गई। वाराणसी में बाल दिवस के दिन जब बच्ची को उसके माता-पिता को सौंपा गया, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। यह मामला पुलिस की तत्परता, इंटरनेट मीडिया की ताकत और आम लोगों की संवेदनशीलता का उदाहरण बन गया।

बच्ची के अपहरण का मुकदमा 23 मई को मुंबई के माटा रामाबाई अंबेडकर मार्ग थाने में दर्ज हुआ था। घटना के बाद मुंबई पुलिस ने दस टीमें बनाई और रेलवे स्टेशन के अंदर-बाहर लगे सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। कुछ वीडियो में बच्ची किसी के साथ जाती दिखी, लेकिन आरोपी पहचान में नहीं आया। जांच वहां अटक गई।

इस बीच दो जून को वाराणसी के फुलवारिया क्षेत्र में राधा देवी नाम की महिला ने एक छोटी बच्ची को अकेले भटकते देखा। बच्ची रो रही थी और किसी का नाम नहीं बता पा रही थी। उन्होंने उसे तुरंत कैंट थाने ले जाकर पुलिस को सौंप दिया। थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्र और दारोगा संजना कुमारी ने बच्ची को शांत कर उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को भेजा, जहां उसका नाम कश्वी रखा गया।

बच्ची को लहुराबीर स्थित वनिता विश्राम गृह भेज दिया गया। वहां रानी रामकुमारी ने उसे मां जैसी देखभाल दी, लेकिन बच्ची अक्सर रो देती और किसी को देखकर मां-पापा की पुकार लगाती। इसी दौरान नवंबर में वाराणसी पुलिस ने गुमशुदा और बरामद बच्चों के पोस्टर सभी थानों और सार्वजनिक स्थानों पर लगाने का अभियान शुरू किया।

इन्हीं पोस्टरों में कश्वी की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वाराणसी के एक यूट्यूबर ने इंस्टाग्राम पर बच्ची की फोटो देखकर इसे मुंबई में वायरल हुए अपहरण पोस्टर से मिलाया और तुरंत मुंबई पुलिस को सूचना दी। जानकारी की पुष्टि होते ही मुंबई पुलिस की टीम 13 नवंबर को वाराणसी पहुंच गई।

वीडियो कॉल पर माता-पिता ने बच्ची को देखते ही पहचान लिया। उसके शरीर पर मौजूद दो खास निशानों से यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि वही उनकी गुमशुदा बेटी है। 14 नवंबर को कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने बच्ची को उसके माता-पिता को सौंप दिया। बच्ची जैसे ही मां की गोद में गई, मौजूद सभी लोग भावुक हो उठे।

हालांकि अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। बच्ची दो जून से पहले 13-14 दिन तक कहाँ रही, किसने उसे अगवा किया और क्यों? मुंबई पुलिस अब इसकी गहन जांच कर रही है।

कैंट थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्र ने कहा कि ऐसे बच्चों को परिवार से मिलाना पुलिस के लिए सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि भावनात्मक कर्तव्य है। उनके अनुसार पोस्टर अभियान और सोशल मीडिया की मदद ने इस बार सचमुच चमत्कार कर दिया।

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