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चंदौली: नहर का तटबंध टूटा, सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न, किसानों में भारी आक्रोश

चंदौली: नहर का तटबंध टूटा, सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न, किसानों में भारी आक्रोश

डीडीयू नगर में नरायनपुर नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा फसलें और घर जलमग्न, आक्रोशित किसानों ने किया विरोध प्रदर्शन।

चंदौली: शनिवार सुबह जिले की प्रमुख सिंचाई परियोजना नरायनपुर पंप कैनाल की मुख्य नहर का तटबंध गोधना गांव के पास टूट गया, जिससे भारी मात्रा में पानी खेतों और रिहायशी इलाकों में घुस गया। इस घटना के कारण सैकड़ों बीघा में फैली फसलें जलमग्न हो गईं और किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। आसपास के गांवों के घरों में भी पानी भर गया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों और किसानों ने सड़क पर उतरकर प्रशासन के खिलाफ नाराज़गी जाहिर की।

स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया कि शुक्रवार रात विभागीय कर्मचारियों द्वारा नहर में आवश्यकता से अधिक पानी छोड़ दिया गया था। इसकी वजह से शनिवार सुबह नहर में पानी ओवरफ्लो हो गया। गोधना गांव के पास तटबंध का एक हिस्सा पहले से ही कमजोर स्थिति में था, जो पानी के दबाव को नहीं झेल पाया और टूट गया। टूटते ही नहर का पानी तेज़ बहाव के साथ खेतों में भर गया, जिससे धान, मक्का, सब्जियों और अन्य मौसमी फसलों को भारी नुकसान हुआ। कई रिहायशी घरों में भी पानी घुस गया, जिससे ग्रामीणों को घर खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा।

घटना की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित किसानों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और स्थिति का जायज़ा लिया। अधिकारियों ने प्रभावित किसानों को आश्वासन दिया कि नुकसान का आकलन कर मुआवजे की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। अधिकारियों ने सिंचाई विभाग के अभियंताओं को निर्देश दिया कि टूटे तटबंध की मरम्मत का कार्य प्राथमिकता पर शुरू कराया जाए ताकि स्थिति और अधिक खराब न हो। मौके पर जेसीबी और अन्य उपकरणों के माध्यम से नहर के बहाव को रोकने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं।

किसानों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय रहते कमजोर तटबंध की मरम्मत कर दी गई होती, तो आज उनकी फसलें नष्ट नहीं होतीं। उन्होंने यह भी कहा कि हर वर्ष इसी नहर के आसपास तटबंध टूटने की घटनाएं होती हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग इससे कोई सबक नहीं लेता। अब जब फसल तैयार होने के कगार पर थी, तब यह हादसा उनकी आजीविका पर भारी पड़ गया।

प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्यों की शुरुआत कर दी गई है। प्रभावित परिवारों को अस्थायी रूप से पंचायत भवन और स्कूलों में स्थानांतरित किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल टीम और राहत सामग्री भी मौके पर भेजी गई है। उधर, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने स्वीकार किया कि जल प्रवाह अधिक था, और तटबंध की कमजोरी के चलते यह दुर्घटना हुई। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

फिलहाल, पूरे इलाके में राहत कार्य जारी है, लेकिन किसानों की चिंता और आक्रोश अभी भी कम नहीं हुआ है। कई ग्रामीणों ने सरकार से तात्कालिक मुआवजे के अलावा स्थायी समाधान की मांग की है ताकि हर साल उन्हें ऐसी आपदा का सामना न करना पड़े।

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