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संसद में 8 दिसंबर को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष बहस होगी

संसद में 8 दिसंबर को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष बहस होगी

संसद में 8 दिसंबर को राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष बहस आयोजित होगी, जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों पर चर्चा होगी।

नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र जारी है और इसी दौरान राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 8 दिसंबर को एक विशेष बहस आयोजित की जाएगी। इस बहस का उद्देश्य राष्ट्रगीत से जुड़े उन ऐतिहासिक तथ्यों को सामने रखना है जिनके बारे में आम तौर पर बहुत कम लोगों को जानकारी है। वंदे मातरम ने भारत की स्वतंत्रता यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसी पृष्ठभूमि को संसद में विस्तार से रखा जाएगा।

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार दोपहर 12 बजे लोकसभा में इस बहस की शुरुआत करेंगे। बहस के समापन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अंतिम वक्तव्य देंगे। उधर राज्यसभा में यह चर्चा गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शुरू किए जाने की संभावना है। यह सत्र उन कई महत्वपूर्ण क्षणों में से एक माना जा रहा है, जहां देश के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को संसद में व्यापक रूप से रखा जाएगा।

वंदे मातरम पर आयोजित इस विशेष बहस में कांग्रेस के भी आठ नेता हिस्सा लेंगे। इनमें लोकसभा के उप नेता प्रतिपक्ष गौरव गोगोई, प्रियंका वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, बिमोल अकोइजाम, प्रणीति शिंदे, प्रशांत पडोले, चमाला रेड्डी और ज्योत्सना महंत शामिल हैं। विपक्ष द्वारा भी इस चर्चा में सक्रिय भागीदारी यह संकेत देती है कि इस अवसर को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर रखकर सांस्कृतिक महत्व के रूप में देखा जा रहा है।

शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हुआ था और 19 दिसंबर तक चलेगा। वहीं 7 नवंबर को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाई गई थी। यह गीत बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया था और सबसे पहले 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1882 में यह उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया और इसके बाद यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा बन गया। युवाओं और सेनानियों के बीच वंदे मातरम उस समय राष्ट्र की पुकार माना जाता था।

प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को संगीतबद्ध किया जिससे इसकी प्रभावशीलता और अधिक बढ़ गई। कई सभाओं और आंदोलनों में इसे गाया गया और यह भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की आवाज बन गया। 24 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया, जो आज भी देश की एकता और समर्पण की भावना को प्रकट करता है।

वंदे मातरम पर होने वाली यह बहस केवल ऐतिहासिक समीक्षा नहीं होगी बल्कि यह भी बताएगी कि एक गीत ने किस तरह लोगों में जागृति, साहस और राष्ट्रप्रेम की भावना को मजबूत किया। संसद में होने वाली यह चर्चा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बनने की उम्मीद है।

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