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उत्तर प्रदेश: पीएम श्री विद्यालय विकास में धीमी गति, एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल

उत्तर प्रदेश: पीएम श्री विद्यालय विकास में धीमी गति, एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल

पीएम श्री विद्यालय योजना में उत्तर प्रदेश के स्कूलों के विकास कार्यों की रफ्तार बेहद धीमी, बजट खर्च भी कम।

उत्तर प्रदेश में पीएम श्री विद्यालयों के विकास की रफ्तार इस समय गंभीर सवालों के घेरे में है, क्योंकि योजना को लागू करने वाली कई एजेंसियों की निष्क्रियता पूरे कार्यक्रम की गति को धीमा कर रही है। प्रधानमंत्री स्कूल्स फार राइजिंग इंडिया योजना के तहत प्रदेश के 1710 सरकारी स्कूलों को चयनित किया गया है जिनमें 1565 बेसिक स्कूल और 145 माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 से 26 के लिए कुल 614 करोड़ रुपये का बजट अनुमोदित किया है जिसमें 432 करोड़ रुपये नवीन स्वीकृति और 181 करोड़ रुपये पिछले वर्ष से अवशेष स्पिलओवर के रूप में शामिल हैं। लेकिन वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही कार्य प्रगति का जो आंकड़ा सामने आया है वह काफी कमजोर दिखाई देता है। अब तक जारी लिमिट केवल 98 करोड़ रुपये है और कुल व्यय महज आठ करोड़ रुपये हुआ है जिससे साफ है कि योजना का शुरुआती चरण अपेक्षित गति से काफी पीछे है।

योजना के तहत स्कूलों में 21 प्रमुख सुविधाओं को अनिवार्य रूप से विकसित किया जाना है जिनमें इंटरनेट सुविधा, कंप्यूटर, स्मार्ट क्लासरूम, आइसीटी लैब, अच्छी लाइब्रेरी, इंटीग्रेटेड साइंस लैब, वोकेशनल एजुकेशन, छात्र उपस्थिति ट्रैकिंग सिस्टम, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, खेल मैदान, स्वच्छ पेयजल, सुरक्षा और स्वच्छता से जुड़ी सुविधाएं, टीएलएम उपयोग, बाला फीचर्स, करियर काउंसलिंग, शिक्षकों का क्षमता विकास, यूथ और इको क्लब, फर्नीचर उपलब्धता और टेन बैगलेस डे शामिल हैं। इन सभी सुविधाओं के विकास में इम्प्लिमेंटिंग एजेंसियों की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है लेकिन प्रदेश में इनकी सक्रियता काफी कम है। कुल 1661 एजेंसियों में से केवल 766 एजेंसियां ही काम कर रही हैं जो कि मात्र 46 दशमलव 67 प्रतिशत है। इतनी धीमी प्रगति योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर सीधा असर डाल रही है और यह स्थिति कई जिलों में और भी चिंताजनक है।

प्रदेश के कुछ जिलों में सभी इम्प्लिमेंटिंग एजेंसियां सक्रिय हैं जिनमें अलीगढ, औरैया, बागपत, बहराइच, बलिया, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, अमरोहा, पीलीभीत और संत कबीर नगर शामिल हैं। लेकिन दूसरी ओर कई ऐसे जिले भी हैं जहां एक भी एजेंसी काम नहीं कर रही है। अंबेडकर नगर, भदोही, फिरोजाबाद, गोंडा, कन्नौज, कानपुर देहात, कासगंज, लखनऊ, महाराजगंज, श्रावस्ती, मथुरा, मीरजापुर और सुल्तानपुर जैसे जिलों में शून्य सक्रियता दर्ज की गई है। यह स्थिति कार्यक्रम की प्रगति पर गंभीर प्रभाव डाल रही है और सीधे तौर पर विद्यालयों में संसाधनों के उन्नयन को प्रभावित कर रही है। हाल ही में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पीएम श्री विद्यालयों के विकास में तेजी लाई जाए और निष्क्रिय एजेंसियों को तुरंत सक्रिय किया जाए। अधिकारियों के अनुसार अगले कुछ महीनों में प्रगति को सुधारने के लिए सख्त मॉनिटरिंग की जाएगी ताकि विद्यालयों में आवश्यक सुविधाओं का विकास समय पर पूरा हो सके और योजना का वास्तविक लाभ छात्रों तक पहुंच सके।

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