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राष्ट्रपति ने ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक 2025 को दी मंजूरी, मनी गेम्स पर लगा प्रतिबंध

राष्ट्रपति ने ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक 2025 को दी मंजूरी, मनी गेम्स पर लगा प्रतिबंध

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक 2025 को मंजूरी दी, सभी प्रकार के ऑनलाइन मनी गेम्स अब प्रतिबंधित।

नई दिल्ली: भारत में ऑनलाइन गेमिंग के परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ गया है। ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी, जिसके साथ ही यह अब कानून का रूप ले चुका है। संसद से यह विधेयक तीन दिनों के भीतर दोनों सदनों में पारित हुआ और अब इसके लागू होते ही डिजिटल गेमिंग की दिशा और दशा बदलने जा रही है।

नए कानून के तहत सरकार ने जहां ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक-शैक्षिक गेम्स को प्रोत्साहन देने की घोषणा की है, वहीं सभी प्रकार के ऑनलाइन मनी गेम्स, चाहे वे कौशल आधारित हों या भाग्य पर पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। इसमें ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स, लॉटरी और ऐसे सभी गेम शामिल हैं जिनमें खिलाड़ी वास्तविक धन लगाकर नकद इनाम जीत सकते हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसे खेलों के विज्ञापन, प्रमोशन और बैंकिंग लेनदेन पर भी रोक होगी।

नए कानून में उल्लंघन करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है। प्रतिबंधित गेम्स ऑफर करने वालों को अधिकतम तीन साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं विज्ञापन करने पर दो साल की सजा और 50 लाख रुपये तक का दंड तय किया गया है। दोहराने की स्थिति में यह सजा पांच साल तक और जुर्माना दो करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इन अपराधों को गंभीर और गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया है।

इसके अलावा, सरकार या नए प्राधिकरण के निर्देशों की अवहेलना करने पर भी ₹10 लाख तक का जुर्माना, पंजीकरण रद्दीकरण और संचालन पर रोक लगाई जा सकती है। मेजबानी और वित्तीय सुविधा से जुड़े अपराधों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत स्पष्ट रूप से संज्ञेय और गैर-जमानती घोषित किया गया है।

कानून में सबसे अहम पहलू राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी का गठन है। यह निकाय सभी ऑनलाइन गेम्स को श्रेणीबद्ध और पंजीकृत करेगा, साथ ही यह तय करेगा कि कौन से खेल ‘मनी गेम्स’ की श्रेणी में आते हैं। यह प्राधिकरण शिकायतों के निपटारे और नियमों के पालन की निगरानी भी करेगा। इसके लिए शुरुआती लागत लगभग 50 करोड़ रुपये और वार्षिक व्यय 20 करोड़ रुपये का अनुमान है, जो भारत की संचित निधि से पूरा किया जाएगा।

जहां सरकार इसे ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने का कदम बता रही है, वहीं उद्योग जगत में इसकी आलोचना भी हो रही है। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) ने कहा है कि यह कानून उद्योग को गहरी चोट पहुंचाएगा। उनके अनुसार इस सेक्टर का उद्यम मूल्यांकन दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है और यह प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों में सालाना 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान करता है।

विभिन्न संगठनों ने चेतावनी दी है कि पूर्ण प्रतिबंध के कारण 400 से अधिक कंपनियां बंद हो सकती हैं और लगभग दो लाख लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। इसके अलावा, करोड़ों यूजर्स अवैध विदेशी प्लेटफॉर्म की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे भारत में अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए को बढ़ावा मिल सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने स्पष्ट किया कि भारत दुनिया का ऑनलाइन गेमिंग हब बन सकता है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा मनी गेम्स को रोकने की है, न कि पूरी ऑनलाइन गेमिंग को। ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल का दर्जा पहले ही 2022 में दिया जा चुका है और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा।

सरकार शतरंज जैसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त ई-स्पोर्ट्स को युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत ला चुकी है। साथ ही एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (AVGC) सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मुंबई में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी और कई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है। अधिकारियों का मानना है कि इससे एक ओर वैध गेमिंग और कौशल आधारित प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहन मिलेगा, वहीं दूसरी ओर जोखिमपूर्ण मनी गेमिंग गतिविधियों पर रोक लग सकेगी।

भारत में ऑनलाइन गेमर्स की संख्या 2020 में 36 करोड़ से बढ़कर 2024 में 50 करोड़ से अधिक हो गई है। इस उद्योग ने जून 2022 तक 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानून से निवेशकों का भरोसा प्रभावित हो सकता है और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धी स्थिति पर असर पड़ेगा।

नए कानून ने जहां लाखों युवाओं के लिए ई-स्पोर्ट्स और क्रिएटिव गेमिंग का रास्ता खोला है, वहीं मनी गेमिंग सेक्टर पर गहरी चोट की आशंका है। अब देखना यह होगा कि क्या यह कानून वास्तव में अवैध और जोखिमपूर्ण गेमिंग गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफल होगा, या फिर उद्योग जगत की आशंकाओं के मुताबिक भारत का तेजी से बढ़ता ऑनलाइन गेमिंग बाजार भारी नुकसान झेलेगा।

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