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नई दिल्ली: राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर लगाया वोट की चोरी का आरोप, गरमाई देश की सियासत

नई दिल्ली: राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर लगाया वोट की चोरी का आरोप, गरमाई देश की सियासत

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'वोट की चोरी' का गंभीर आरोप लगाया, जिससे देश की सियासत में भूचाल आ गया है।

नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट की चोरी' के आरोप के बाद देश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता में आंकड़े पेश करते हुए दावा किया कि आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर चुनावों में गड़बड़ी की है, जिसके चलते भारी संख्या में संदिग्ध वोट डाले गए। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के साथ सीधी छेड़छाड़ है और इसे उजागर करना उनका कर्तव्य है।

इस आरोप पर संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजजू ने कड़ा जवाब देते हुए राहुल गांधी को लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। रिजजू ने कहा कि राहुल गांधी बिना ठोस सबूत के संवैधानिक संस्थाओं की साख पर सवाल उठाते हैं और एनजीओ के आंकड़ों के आधार पर उच्चतम न्यायालय व चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बयानों से देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचता है।

इसी बीच कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी से अपने आरोपों को प्रमाणित करने के लिए शपथपत्र के साथ सबूत पेश करने की अपील की। दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद तरूण गगोई ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि संसद में कई बार चुनाव आयोग के कार्यप्रणाली पर चर्चा हो चुकी है और इस बार भी होनी चाहिए। गगोई का आरोप है कि सरकार बिहार में मतदाता सूची की गहन समीक्षा (एसआईआर) पर चर्चा से बच रही है और विपक्ष की मांग को नजरअंदाज कर रही है।

विपक्ष लगातार संसद के मानसून सत्र में एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहा है। राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटों की चोरी हुई और करीब 40 लाख संदिग्ध वोट डाले गए। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल ने भी चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए और इसे राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित कदम बताया। समाजवादी पार्टी सहित कई विपक्षी दल भी इस मामले में संसद में बहस कराने पर अड़े हुए हैं।

राहुल गांधी का कहना है कि वह चुनाव आयोग की कथित गड़बड़ियों का खुलासा करेंगे, जबकि तरूण गगोई का कहना है कि सरकार को संसद के दोनों सदनों में इस पर जवाब देना चाहिए। विपक्ष का रुख स्पष्ट है कि जब तक इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होती, वह सदन की कार्यवाही में सहयोग नहीं करेगा।

बुधवार को संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजजू ने स्पष्ट किया कि एसआईआर का मामला वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए संसद में इस पर चर्चा नहीं हो सकती। उनका कहना है कि चुनाव आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है और उसके कार्यों पर संसद में सवाल उठाने का संवैधानिक प्रावधान नहीं है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी यही बात दोहराई, लेकिन विपक्ष इस तर्क को मानने को तैयार नहीं है और आने वाले दिनों में भी चर्चा की मांग जारी रखने की संभावना है।

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