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मुरादाबाद में भाकियू की महापंचायत, राकेश टिकैत ने सरकार पर साधा निशाना

मुरादाबाद में भाकियू की महापंचायत, राकेश टिकैत ने सरकार पर साधा निशाना

मुरादाबाद में भाकियू की महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर निशाना साधते हुए किसानों, बेरोजगारी व सियासी मुद्दों पर अपनी बात रखी।

मुरादाबाद: बुधवार को शहर के आंबेडकर पार्क में किसानों की बड़ी महापंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और चर्चित किसान नेता राकेश टिकैत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। जिले और आसपास के इलाकों से भारी संख्या में किसान अपने-अपने जत्थों के साथ पहुंचे, जिससे पूरा पार्क किसानों की उपस्थिति से खचाखच भर गया। महापंचायत को लेकर प्रशासन भी सतर्क नजर आया। किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पुलिस-प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे और जगह-जगह पर पुलिस बल तैनात रहा।

महापंचायत में मंच से संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार किसानों और आम जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर उद्योगपतियों के हितों के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान लागत से कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर है, वहीं युवाओं में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। टिकैत ने बेरोजगारी को बेहद गंभीर समस्या बताया और कहा कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाने में नाकाम साबित हो रही है।

सिर्फ खेती और बेरोजगारी ही नहीं, बल्कि महापंचायत में टिकैत ने सियासी मुद्दों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां के मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें अभी और कुछ समय जेल में बिताना पड़ेगा, उनका राजनीतिक समय वर्ष 2027 के बाद ही आएगा। इस बयान ने सभा में मौजूद किसानों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का ध्यान खींचा।

किसानों ने पंचायत के दौरान अपनी-अपनी समस्याओं को खुलकर सामने रखा। सभा में लगातार नारेबाजी होती रही और नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। टिकैत ने जोर देकर कहा कि जब तक किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य सुनिश्चित करने वाला एमएसपी कानून लागू नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन किसी एक संगठन का नहीं बल्कि पूरे किसान समाज का है और इसकी लड़ाई लंबी चलेगी।

महापंचायत का माहौल पूरी तरह से जोशीला रहा। किसानों की भारी भीड़ और उनके तेवरों ने साफ कर दिया कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। राकेश टिकैत के तेवरों और किसानों की एकजुटता ने संकेत दिया कि आने वाले दिनों में किसान संगठनों की आवाज़ और बुलंद हो सकती है।

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