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रामनगर के कमलेश सोनकर ने सब्जी मंडी से UP पुलिस तक का सफर किया तय, सृजन श्रीवास्तव को दिया श्रेय

रामनगर के कमलेश सोनकर ने सब्जी मंडी से UP पुलिस तक का सफर किया तय, सृजन श्रीवास्तव को दिया श्रेय

रामनगर के कमलेश सोनकर ने सब्जी मंडी से निकलकर अथक परिश्रम और लगन से उत्तर प्रदेश पुलिस में जगह बनाई, बनी प्रेरणा।

वाराणसी/रामनगर: संघर्ष, संकल्प और सफलता इन तीन शब्दों की जीवंत मिसाल बनकर रामनगर के कमलेश सोनकर ने एक ऐसी कहानी लिखी है, जो हर उस युवा को प्रेरित करती है जो हालातों से लड़कर अपने सपनों को जीना चाहता है। सब्जी मंडी में ठेले पर सब्जी बेचने वाली साधारण परिवार की पृष्ठभूमि से निकलकर कमलेश का उत्तर प्रदेश पुलिस में चयन होना न सिर्फ उनके परिवार के सपनों की जीत है, बल्कि रामनगर के लिए भी गर्व का क्षण है। सृजन क्लासेस के निर्देशन में पढ़ाई करने वाले कमलेश ने अपनी मेहनत, विनम्रता और अथक परिश्रम के दम पर यह मुकाम हासिल किया है।

कमलेश सोनकर अपने पिता प्रेमलाल सोनकर के साथ रामनगर की सब्जी मंडी में रोज सुबह से देर शाम तक ठेले पर सब्जी बेचते थे। आर्थिक परिस्थितियाँ मजबूत नहीं थीं, लेकिन हौसला कभी टूटा नहीं। दिन में पिता का हाथ बंटाने और रात में पढ़ाई करने का सिलसिला वर्षों तक लगातार चलता रहा। कठिन दिन, थकाऊ रातें और संघर्षों से भरी परिस्थितियों ने कमलेश को तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बनाया। कमलेश की माँ उषा देवी एक गृहिणी हैं। साधारण परिवार में पले-बढ़े चार भाई-बहनों में से कमलेश हमेशा से पढ़ाई को ही जीवन बदलने का माध्यम मानते रहे।

कमलेश बताते हैं कि सृजन क्लासेज और उनके डायरेक्टर सृजन श्रीवास्तव का मार्गदर्शन उनकी सफलता का बड़ा आधार रहा। "सृजन सर ने मुझे कभी गिरने नहीं दिया। जब-जब हताशा आई, उन्होंने वही कहा, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। बस वही बात मेरे भीतर ईंधन की तरह काम करती रही," कमलेश ने भावुक स्वर में कहा।
सृजन क्लासेज के दर्जनों अभ्यर्थियों ने इस बार यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में सफलता हासिल की है, लेकिन कमलेश की कहानी सबसे अलग, सबसे प्रेरक और सबसे विशिष्ट है।

कोचिंग संस्थान के डायरेक्टर सृजन श्रीवास्तव ने हमारे संवाददाता से बताया कि "कमलेश जैसे छात्र हमारे लिए सम्मान हैं। यह साबित करता है कि प्रतिभा पैसों की मोहताज नहीं होती। संघर्षशील छात्र जब सही दिशा और सही समय पर सही मार्गदर्शन पाते हैं, तो इतिहास रच देते हैं।"

कमलेश अब सिर्फ अपने लिए नहीं, अपने पूरे परिवार के लिए एक नई राह बनाना चाहते हैं। उनका कहना है कि यह तो बस शुरुआत है, "पापा को ठेला छोड़कर आराम की जिंदगी देनी है। अपने छोटे भाई-बहनों को अच्छी पढ़ाई और बेहतर जीवन देना ही मेरा पहला लक्ष्य है। परिवार को अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा करना ही मेरी सबसे बड़ी जीत होगी।"

कमलेश सोनकर की यह सफलता उन तमाम युवाओं को संदेश देती है जो संसाधनों के अभाव को अपनी हार बना बैठते हैं। यह कहानी बताती है कि कठिनाइयाँ मंज़िल रोक नहीं सकतीं। अगर हौसला सच्चा हो, दिशा सही हो और कदम रुकने न पाएँ, तो सपने ठेले, चूल्हे, खेत, फैक्ट्री, फुटपाथ कहीं से भी उड़ान भर सकते हैं।

रामनगर में जश्न का माहौल है। रामनगर सब्जी मंडी से शुरू हुआ एक सफ़र अब वर्दी की शान तक पहुँच चुका है। यह सिर्फ सफलता नहीं, अपितु एक प्रेरणा, एक मिसाल और एक अद्भुत मानवीय कहानी है, जिसे लोग आने वाले वक्त में भी याद रखेंगे।

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