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वाराणसी: आरपीएफ ने नन्हे फरिश्ते ऑपरेशन में 15 बच्चों को तस्करों से मुक्त कराया

वाराणसी: आरपीएफ ने नन्हे फरिश्ते ऑपरेशन में 15 बच्चों को तस्करों से मुक्त कराया

वाराणसी में आरपीएफ ने ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत 15 बच्चों को मानव तस्करों से बचाया, तीन गिरफ्तार किए।

वाराणसी में मंगलवार को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मानवीय संवेदनशीलता और सतर्कता का परिचय देते हुए 15 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से आजाद कराया। इस कार्रवाई में एक युवती सहित तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। बताया गया कि ये सभी बच्चे मजदूरी के लिए गुजरात ले जाए जा रहे थे। यह अभियान आरपीएफ के विशेष अभियान ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत चलाया गया, जिसका उद्देश्य बाल श्रम और मानव तस्करी की रोकथाम करना है।

आरपीएफ इंस्पेक्टर संदीप यादव ने बताया कि उन्हें कुछ समय से गोहाटी से ओखा जाने वाली ट्रेन संख्या 15636 द्वारिका एक्सप्रेस में बच्चों की तस्करी की सूचना मिल रही थी। इसी के मद्देनजर ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते टीम को विशेष रूप से इस रूट पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से वाराणसी के बीच ट्रेन की जांच के दौरान टीम को पिछली जनरल बोगी में अलग-अलग समूहों में 15 बच्चे संदिग्ध स्थिति में बैठे मिले। ट्रेन जैसे ही वाराणसी कैंट स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर आठ पर पहुंची, पहले से मौजूद आरपीएफ और पुलिस की टीम ने बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला और तीन संदिग्ध तस्करों को हिरासत में ले लिया।

पकड़े गए तस्करों में एक युवती सीमा भी शामिल है, जो गाजीपुर के दिलदारनगर की रहने वाली बताई गई है। उसने पूछताछ में बताया कि वह छह साल की एक बच्ची को उसकी मां से मिलवाने जा रही थी और बाकी नौ बच्चों को गुजरात के राजकोट में एक कंपनी में नौकरी दिलाने की बात कही। आरपीएफ के अनुसार, यह बयान संदेहास्पद है क्योंकि किसी भी बच्चे के पास लिखित अनुमति या पहचान प्रमाण नहीं मिला।

दूसरा आरोपी बिहार के बक्सर निवासी सुरेंद्र राय है, जिसने दावा किया कि वह अपने रिश्तेदार के बच्चे को राजकोट ले जा रहा था। तीसरा आरोपी असम के तिनसुकिया का रहने वाला मोंतोस मुंडा बताया गया, जो अपने साथ चार बच्चों को अहमदाबाद में काम दिलाने के नाम पर ले जा रहा था। पुलिस का मानना है कि ये तीनों एक संगठित मानव तस्करी गिरोह का हिस्सा हैं, जो गरीब परिवारों के बच्चों को बहला-फुसलाकर फैक्ट्रियों या मजदूरी के कार्यों में धकेल देता है।

मौके पर पहुंची कमिश्नरेट की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने सभी तस्करों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। बच्चों को सुरक्षित आश्रय गृह भेजा गया है और उनके परिवारों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस नेटवर्क के पीछे कौन-कौन से एजेंट या दलाल जुड़े हुए हैं।

आरपीएफ अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई मानव तस्करी के खिलाफ चल रहे अभियान की एक बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि रेलवे रूट्स पर विशेष निगरानी रखी जा रही है ताकि बच्चों की तस्करी जैसे अपराधों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके। प्रशासन ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे किसी संदिग्ध व्यक्ति या बच्चों के समूह को देखे जाने पर तुरंत रेलवे पुलिस को सूचना दें, ताकि ऐसी घटनाओं को समय रहते रोका जा सके।

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