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लखीमपुर: सत्येंद्र बारी ने दिवंगत बजरंग दल कार्यकर्ता को दी श्रद्धांजलि, परिजनों को मदद का दिया भरोसा

लखीमपुर: सत्येंद्र बारी ने दिवंगत बजरंग दल कार्यकर्ता को दी श्रद्धांजलि, परिजनों को मदद का दिया भरोसा

लखीमपुर खीरी में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य सत्येंद्र बारी ने दिवंगत बजरंग दल कार्यकर्ता संदीप के परिजनों से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त कीं।

लखीमपुर: जनपद प्रवास के दौरान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य श्री सत्येंद्र बारी ने मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील पहल करते हुए बजरंग दल के दिवंगत कार्यकर्ता स्वर्गीय संदीप जी के परिवार से मुलाकात की। यह दुखद समाचार प्राप्त हुआ था कि संदीप जी की खेत में कीटनाशक दवा का छिड़काव करते समय आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। इस अप्रत्याशित घटना से न केवल उनके परिजन, बल्कि समूचा संगठन शोकाकुल हो उठा।

सत्येंद्र बारी जी ने बिना किसी औपचारिकता के संदीप जी के निवास स्थान पर जाकर उनके शोक-संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया और व्यक्तिगत रूप से दुख साझा किया। उन्होंने स्वर्गीय संदीप जी के जीवन, उनके कार्यों और संगठन के प्रति उनकी निष्ठा को याद करते हुए कहा कि ऐसे समर्पित कार्यकर्ता समाज और संगठन की रीढ़ होते हैं। उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।

इस अवसर पर प्रांत धर्म प्रसार प्रमुख श्री संजय जी, बजरंग दल संयोजक श्री रुपेश जी सहित बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे, जिन्होंने एक स्वर में संदीप जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। वहां उपस्थित जनसमुदाय में शोक के साथ-साथ एक भावुक एकजुटता का वातावरण देखने को मिला, जहां संगठन के कार्यकर्ताओं और सामाजिक प्रतिनिधियों ने परिवार को यह विश्वास दिलाया कि वे इस कठिन घड़ी में अकेले नहीं हैं।

सत्येंद्र बारी जी ने संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय देते हुए तत्काल उपजिलाधिकारी (एसडीएम) के माध्यम से शासन को आर्थिक सहायता की संस्तुति भी प्रदान की। उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर सभी औपचारिकताओं को तेज गति से पूर्ण कराकर पीड़ित परिवार को शीघ्र सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। इस संबंध में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार की योजनाएं तभी सार्थक होती हैं जब वे ज़रूरतमंद तक समय पर पहुंचें, और इस दिशा में वे स्वयं व्यक्तिगत निगरानी रखेंगे।

श्री बारी ने आगे कहा कि संदीप जी जैसे कर्मठ और जागरूक कार्यकर्ता संगठन के आदर्श प्रतिनिधि होते हैं। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। “मैं इस दुख की घड़ी में संदीप जी के परिवार के साथ हूं और यथासंभव हर प्रकार की सहायता सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध हूं,” उन्होंने कहा।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब प्रशासनिक जिम्मेदारी सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों के साथ जुड़ जाती है, तब संवेदना केवल शब्द नहीं, बल्कि कर्म बन जाती है।

लखीमपुर का यह दौरा ना केवल दुखद क्षणों में परिवार को संबल देने वाला था, बल्कि एक ऐसा उदाहरण भी प्रस्तुत करता है जिसमें एक जनप्रतिनिधि, संगठन और समाज एक साथ खड़े होकर मानवीय मूल्यों की जीवंत मिसाल बनाते हैं।

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