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शाहजहांपुर: पुवायां एसडीएम ने पेशाब करने वाले मुंशी को दी सजा, खुद भी लगाई उठक-बैठक

शाहजहांपुर: पुवायां एसडीएम ने पेशाब करने वाले मुंशी को दी सजा, खुद भी लगाई उठक-बैठक

नवागत एसडीएम रिंकू सिंह राही ने खुले में पेशाब करने वाले मुंशी को उठक-बैठक लगवाई, फिर शौचालयों की दुर्दशा पर स्वयं भी उठक-बैठक की।

शाहजहांपुर: पुवायां तहसील में सोमवार देर रात कार्यभार ग्रहण करने वाले नवागत उपजिलाधिकारी (एसडीएम) रिंकू सिंह राही मंगलवार को अपने पहले ही कार्यदिवस में चर्चा का केंद्र बन गए। जन-संवेदनशीलता, अनुशासन और प्रशासनिक जवाबदेही का दुर्लभ उदाहरण पेश करते हुए एसडीएम ने तहसील परिसर में खुले में पेशाब कर रहे एक वकील के मुंशी को फटकारते हुए सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक लगवाई, और जब अधिवक्ताओं ने शौचालयों की दुर्दशा को लेकर प्रशासन की जिम्मेदारी का मुद्दा उठाया, तो उन्होंने स्वयं को उत्तरदायी मानते हुए अधिवक्ताओं के समक्ष खुद उठक-बैठक कर ली।

मंगलवार सुबह पुवायां तहसील पहुंचे एसडीएम राही का सबसे पहला सामना एक अनुशासनहीनता की स्थिति से हुआ, जब एक वकील का मुंशी तहसील परिसर की दीवार के पास खुले में मूत्र त्याग करते हुए दिखा। उन्होंने तत्क्षण कड़ी फटकार लगाते हुए उसे कान पकड़ कर उठक-बैठक करने को कहा और स्वच्छता अभियान की मूल भावना का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि सार्वजनिक परिसरों में साफ-सफाई को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि परिसर में शौचालय उपलब्ध हैं, इसलिए खुले में पेशाब करना एक गंभीर अनुशासनहीनता है।

इसके बाद एसडीएम परिसर के निरीक्षण पर निकले और अधिवक्ताओं द्वारा चलाए जा रहे एक धरना-प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे वकीलों से शांतिपूर्वक बात करते हुए कहा कि विरोध करना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन इसकी आवाज शासकीय कार्यालयों के कामकाज में बाधा न बने, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। उसी दौरान वकीलों ने तहसील के शौचालयों की बदहाली और सफाई की अनदेखी को लेकर सवाल उठाए और मुंशी को सार्वजनिक दंड दिए जाने का विरोध जताया।

इस पर एसडीएम रिंकू सिंह राही ने बिना किसी हिचक के यह स्वीकार किया कि शौचालयों की स्थिति के लिए प्रशासन जिम्मेदार है और उन्होंने कहा, “यदि यह व्यवस्था गड़बड़ है तो उसके लिए मैं जिम्मेदार हूं।” इसके तुरंत बाद उन्होंने स्वयं अधिवक्ताओं के सामने उठक-बैठक करनी शुरू कर दी। वकीलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपनी बात पूरी करते हुए ही रुकना उचित समझा। यह दृश्य उपस्थित लोगों के लिए एक भावुक और विचारोत्तेजक क्षण बन गया, जिसने प्रशासनिक जवाबदेही की एक मिसाल कायम कर दी।

अपने पहले ही दिन के दौरान उन्होंने तहसील के विभिन्न कार्यालयों का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों की बैठक ली और सभी को शासन की मंशा के अनुरूप कार्य करने का स्पष्ट निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने तहसील परिसर में बच्चों को घूमते पाया, जिनमें से एक बच्ची को उन्होंने पास बुलाया और उसके माता-पिता की जानकारी ली। पिता के आने पर उन्होंने उन्हें भी कान पकड़ने को कहा और समझाया कि विद्यालय समय में बच्ची तहसील में क्यों घूम रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि बच्ची को हर हाल में अगली सुबह से स्कूल भेजा जाए।

मीडिया से बातचीत में एसडीएम राही ने स्पष्ट कहा कि वे शासन की नीतियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि गांवों में व्हाट्सएप समूह बनाए जाएंगे, जिनमें ग्रामीण अपनी समस्याएं लिख सकेंगे और समाधान की जानकारी भी उन्हें उसी समूह में दी जाएगी। साथ ही उन्होंने युवाओं की एक टीम गठित करने की योजना का खुलासा किया, जो गांवों में सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ-साथ पात्र लोगों को जागरूक करेगी और उनका सहयोग करेगी।

उन्होंने रिश्वतखोरी और दुर्व्यवहार की घटनाओं को लेकर भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि कोई कर्मचारी अनैतिक आचरण करता है तो उसकी स्टिंग वीडियो बनाकर दें, उस पर त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि प्रशासन का काम जनता की सेवा करना है, और इस सेवा में ईमानदारी, जवाबदेही और मानवीय दृष्टिकोण सर्वोपरि रहना चाहिए।

एसडीएम रिंकू सिंह राही की यह पहल प्रशासनिक प्रणाली में अनुशासन, जवाबदेही और जन-संवेदनशीलता को नए सिरे से परिभाषित करती है। उनके पहले ही दिन के कामकाज ने न केवल अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक सशक्त संदेश दिया, बल्कि आमजन के बीच प्रशासनिक भरोसे को भी बल दिया है। उनके इस व्यवहारिक और पारदर्शी दृष्टिकोण की सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर भी व्यापक चर्चा हो रही है।

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