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वाराणसी: मदनपुरा सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में 7 माह बाद हुई पूजा, हर-हर महादेव से गूंजा परिसर

वाराणसी: मदनपुरा सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में 7 माह बाद हुई पूजा, हर-हर महादेव से गूंजा परिसर

वाराणसी के मदनपुरा स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में सात महीने बाद विधिवत पूजन, भक्तों ने किए हर-हर महादेव के जयकारे।

वाराणसी: मदनपुरा के हृदय स्थल पर स्थित प्राचीन सिद्धिश्वर महादेव मंदिर में शुक्रवार को सात महीनों बाद श्रद्धा और आस्था का अद्वितीय संगम देखने को मिला। विश्व हिंदू परिषद के काशी प्रांत महानगर अध्यक्ष राजेश मिश्रा के नेतृत्व में मंदिर परिसर में विधिवत पूजन-अर्चन संपन्न हुआ। वर्षों से बंद पड़े इस प्राचीन शिव मंदिर में श्रद्धालुओं और विहिप कार्यकर्ताओं ने मिलकर देव विग्रह का अभिषेक किया, माला-फूल अर्पित किए और फल-मिष्ठान्न का भोग लगाकर आरती की।

पूजन से पूर्व विहिप कार्यकर्ताओं द्वारा बृहस्पतिवार को मंदिर की सफाई की गई थी, जिसके बाद शुक्रवार को मंदिर के कपाट विधिवत रूप से खुले। श्रद्धालु ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ मंदिर परिसर में पहुंचे और पुरातन शिवलिंग के समक्ष अपना सिर नवाया। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध व पंचामृत से अभिषेक कर पुष्पांजलि अर्पित की गई।

गौरतलब है कि मदनपुरा मोहल्ले में स्थित सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का ताला लगभग 15 वर्षों तक बंद रहा था। 2009 में मंदिर में अंतिम बार विधिवत पूजा हुई थी, जिसके बाद वर्षों तक यह धार्मिक स्थल खामोश रहा। इसके पश्चात 8 जनवरी 2025 को मंदिर का ताला खोला गया था, लेकिन उस समय सफाई के दौरान परिसर में तीन खंडित शिवलिंग मिलने के साथ-साथ मूल शिवलिंग के गायब होने की जानकारी सामने आई थी। इसी कारण पूजन के बाद मंदिर के कपाट दोबारा बंद कर दिए गए थे और तय किया गया था कि खरमास समाप्त होने के पश्चात मंदिर में पुनः प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।

अब, सात महीने की प्रतीक्षा के बाद मंदिर एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खुला है। विहिप कार्यकर्ताओं ने न केवल मंदिर को साफ-सज्जित किया, बल्कि पूरे आयोजन को पूरी श्रद्धा और पारंपरिक विधियों से संपन्न कराया। इस दौरान वातावरण में शंखनाद, घंटियों की गूंज और हर-हर महादेव के उद्घोष से माहौल भक्ति से सराबोर हो गया।

राजेश मिश्रा ने इस अवसर पर कहा, "यह मंदिर सिर्फ ईंट और पत्थरों से बनी कोई संरचना नहीं है, यह हमारी आस्था का केंद्र है। 15 साल की प्रतीक्षा के बाद इसे फिर से जीवंत देखना भावुक कर देने वाला क्षण है। हम इस स्थल को दोबारा धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

पूरे कार्यक्रम में स्थानीय श्रद्धालुओं सहित कई सामाजिक संगठनों और धार्मिक कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजन पूर्णतः शांतिपूर्ण और श्रद्धापूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ, जिसने यह संदेश दिया कि वर्षों पुरानी आस्था को भले ही वक्त की धूल ढक दे, पर श्रद्धा की एक पुकार उसे फिर से जीवित कर सकती है।

इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने सैकड़ों भक्तों के लिए यह दिन भक्ति, भाव और पुनर्जागरण की अनुभूति लेकर आया, जब प्राचीन मंदिर की घंटियों ने एक बार फिर से अपने नगरवासियों को शिवभक्ति का संदेश सुनाया।

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