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सीतापुर: पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड के दो शूटर मुठभेड़ में ढेर, परिवार असंतुष्ट

सीतापुर: पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड के दो शूटर मुठभेड़ में ढेर, परिवार असंतुष्ट

सीतापुर पुलिस ने पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड के दो वांछित शूटरों को मुठभेड़ में मार गिराया जिन पर एक लाख का इनाम था।

सीतापुर: बहुचर्चित पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड में गुरुवार सुबह पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली, जब इस मामले में वांछित दो शूटरों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। मारे गए दोनों आरोपियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था और इनकी लंबे समय से तलाश की जा रही थी। हालांकि पुलिस की इस कार्रवाई से मृत पत्रकार के परिजन संतुष्ट नहीं नजर आ रहे हैं।

पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल ने बताया कि स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और जिला पुलिस की संयुक्त टीम गुरुवार सुबह पिसावां-महोली मार्ग पर अपराधियों की तलाश में कॉम्बिंग कर रही थी। इसी दौरान बाइक सवार दो संदिग्धों को रुकने का इशारा किया गया। रोकने की कोशिश पर दोनों ने पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें दोनों बदमाश संजय तिवारी उर्फ अकील खान और राजू तिवारी उर्फ रिजवान घायल हो गए। उन्हें तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, दोनों शूटर मिश्रित थाना क्षेत्र के अटवा गांव के निवासी थे और इनके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज थे। पुलिस ने बताया कि ये वही शूटर थे जिन्होंने इसी साल 8 मार्च को दिनदहाड़े पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या हेमपुर ओवरब्रिज के पास की थी। हमले के दौरान दोपहर करीब 3 बजे बाइक सवार बदमाशों ने पत्रकार पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं और मौके से फरार हो गए थे।

पुलिस ने मामले की जांच में 34 दिनों के भीतर एक पुजारी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन शूटर तब से फरार चल रहे थे। उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे और इन पर एक-एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।

हालांकि, इस मुठभेड़ के बाद राघवेंद्र की पत्नी रश्मि बाजपेयी ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जब उनके पति की हत्या हुई थी, तब परिवार ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हत्याकांड की हर जानकारी उन्हें समय पर दी जाए और यदि कभी आरोपी पकड़े जाएं तो पहले उन्हें दिखाया जाए। रश्मि ने कहा, "न तो हत्या का खुलासा हमारी जानकारी में किया गया और न ही इस मुठभेड़ की कोई सूचना पहले दी गई। हमें इस कार्रवाई से संतोष नहीं है। यह सबकुछ हमें मीडिया से ही पता चला।"

उनकी इस प्रतिक्रिया से साफ है कि भले ही पुलिस ने दो कुख्यात अपराधियों का अंत कर दिया हो, लेकिन पीड़ित परिवार की नजरों में अभी भी न्याय अधूरा है। रश्मि का कहना है कि न्याय प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और परिवार को अंधेरे में नहीं रखा जाना चाहिए।

अब इस मुठभेड़ को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस कार्रवाई से न्याय प्रक्रिया पूरी हुई है या फिर यह केवल एक अपराधियों के खात्मे की कार्रवाई थी। पुलिस अपनी ओर से इसे बड़ी सफलता मान रही है और पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी में है। वहीं, पत्रकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की निगाहें भी अब इस मामले की निष्पक्ष जांच और पारदर्शिता पर टिकी हैं।

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