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जौनपुर: स्काई मार्ग चिट फंड कंपनी के निदेशक करोड़ों की ठगी कर हुए फरार

जौनपुर: स्काई मार्ग चिट फंड कंपनी के निदेशक करोड़ों की ठगी कर हुए फरार

स्काई मार्ग फाइनेंस सोसाइटी के निदेशकों ने निवेशकों से करोड़ों की ठगी कर फरार हो गए, मामला दर्ज।

वर्ष 2013 में स्काई मार्ग एग्रो इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड का कार्यालय वाराणसी के सिगरा क्षेत्र में स्थापित किया गया था। शुरुआत में इसे एक सामान्य व्यवसायिक इकाई के रूप में संचालित किया गया, लेकिन वर्ष 2014 में कंपनी को जौनपुर शहर में स्काई मार्ग फाइनेंस सोसाइटी नाम से चिट फंड कंपनी के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इसके बाद कंपनी ने तेजी से अपने काम का दायरा बढ़ाया और आस पास के जिलों में निवेशकों को जोड़ने का अभियान शुरू किया। कंपनी के निदेशक बसंत कुमार रावत, निवासी जमुई बिहार, रत्नाकर सिंह, निवासी बड़ागांव वाराणसी और रमाशंकर राजभर, निवासी कपसेठी वाराणसी थे। इन तीनों ने स्वयं कंपनी के संचालन की जिम्मेदारी संभाली और निवेशकों को आकर्षक रिटर्न का लालच देकर बड़ी संख्या में लोगों को योजनाओं से जोड़ा।

चिट फंड कंपनी द्वारा जौनपुर, वाराणसी और आसपास के जिलों में दोगुना, तिगुना रिटर्न और मासिक जमा योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये जमा कराए गए। आम लोगों को बताया गया कि उनका निवेश सुरक्षित है और जल्द ही उन्हें भारी लाभ दिया जाएगा। लेकिन लगभग एक वर्ष बाद कंपनी के निदेशक अचानक गायब होने लगे और पता चला कि वे जमा की गई धनराशि लेकर फरार हो गए हैं। यह खुलासा होते ही निवेशकों में हड़कंप मच गया और कंपनी के खिलाफ शिकायतों की बाढ़ आने लगी। स्थिति गंभीर होने पर वर्ष 2015 में जौनपुर के थाना लाइन बाजार में कंपनी के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये हड़पने का मामला दर्ज किया गया।

मामले की जांच के दौरान दो आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है, जबकि तीनों मुख्य निदेशक यानी बसंत कुमार रावत, रत्नाकर सिंह और रमाशंकर राजभर अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। अदालत ने कई बार समन जारी किए लेकिन उनके हाजिर न होने पर न्यायालय सीजेएम जौनपुर ने उनके खिलाफ फरारी और उद्घोषणा आदेश जारी किया है, जो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के अंतर्गत आता है। यह आदेश ऐसे मामलों में जारी किया जाता है जब आरोपी जानबूझकर न्यायालय की कार्यवाही से बचते हैं और उपस्थित नहीं होते।

आदेश जारी होने के बाद निरीक्षक स्वामीनाथ प्रसाद ने मुनादी और डुगडुगी की कार्यवाही कराते हुए न्यायालय के नोटिस की प्रतियां अभियुक्तों के निवास स्थानों पर, सार्वजनिक स्थलों पर और न्यायालय परिसर के मुख्य द्वार पर चस्पा की हैं। यह प्रक्रिया न्यायालय के आदेश को सार्वजनिक करने और अभियुक्तों को उसकी जानकारी देने के लिए की जाती है। पुलिस अधीक्षक के जन संपर्क अधिकारी निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि उद्घोषणा की कार्यवाही पूरी होने के बाद फरार अभियुक्तों को एक माह के भीतर न्यायालय में उपस्थित होना अनिवार्य है। यदि वे निर्धारित अवधि में उपस्थित नहीं होते तो उनकी चल संपत्ति कुर्क की जाएगी और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला क्षेत्र में बड़ा वित्तीय घोटाला बन चुका है और हजारों निवेशक आज भी अपनी जमा धनराशि वापस पाने की उम्मीद लगाए हुए हैं। पुलिस और न्यायालय की संयुक्त कार्रवाई से अब यह माना जा रहा है कि फरार निदेशकों पर जल्द ही दबाव बढ़ेगा और संभव है कि वे कानून के दायरे में लाए जाएं।

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