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वाराणसी: रामनगर आयुर्वेदिक चिकित्सालय में दवाओं की भारी कमी, समाजसेवी अमित राय ने सचिव आयुष से लगाई गुहार

वाराणसी: रामनगर आयुर्वेदिक चिकित्सालय में दवाओं की भारी कमी, समाजसेवी अमित राय ने सचिव आयुष से लगाई गुहार

कोरोना के बाद आयुर्वेद पर लोगों का विश्वास बढ़ा, लेकिन वाराणसी के रामनगर आयुर्वेदिक अस्पताल में दवाओं की भारी कमी है, समाजसेवियों ने आयुष सचिव को पत्र लिखा।

वाराणसी: कोरोना महामारी के बाद देशभर में लोगों का झुकाव आयुर्वेद की ओर तेजी से बढ़ा है। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ-साथ अब आम नागरिक भी अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ के लिए आयुर्वेदिक उपचार को प्राथमिकता देने लगे हैं। विशेषकर वाराणसी जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक नगर में, जहाँ आयुर्वेद की परंपरा सदियों पुरानी है, वहां जनता की आस्था इस पद्धति में और भी गहरी होती जा रही है।

लेकिन इस बढ़ते विश्वास के बीच एक गंभीर विडंबना यह है कि वाराणसी के रामनगर स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय में दवाओं की भारी कमी बनी हुई है। यहाँ 51 दवाओं की स्वीकृत सूची में से मात्र 3 से 4 दवाएँ ही उपलब्ध हैं। बाकी आवश्यक औषधियों का न होना न केवल मरीजों के उपचार में बाधा बन रहा है, बल्कि यह सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

इसी गंभीर स्थिति पर कोदोपुर निवासी और क्षेत्र के प्रसिद्ध समाजसेवी ई. अमित राय ‘वत्स’ ने आवाज उठाई है। उन्होंने हमारे संवाददाता से बातचीत में बताया कि, “जनता का विश्वास जब आयुर्वेद पर लौट आया है, तब दवाओं की कमी इस प्रणाली की साख को नुकसान पहुँचा सकती है। मैंने आज इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट के साथ प्रमुख सचिव आयुष, आईएएस श्री रंजन कुमार साहब को पत्र प्रेषित कर दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार इस पर तत्काल संज्ञान लेगी और जल्द ही रामनगर की जनता को आयुर्वेदिक दवाओं का पूरा लाभ मिलेगा।”

ई. अमित राय ‘वत्स’ ने बताया कि उनका उद्देश्य केवल समस्या बताना नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में ठोस कदम उठवाना है। उन्होंने यह भी कहा कि रामनगर का यह चिकित्सालय वर्षों से ग्रामीण और शहरी मरीजों का भरोसेमंद उपचार केंद्र रहा है। यहाँ आयुर्वेदिक चिकित्सक पूरी निष्ठा से काम करते हैं, लेकिन आवश्यक औषधियाँ न होने के कारण वे मरीजों को उचित उपचार देने में असमर्थ हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल के वर्षों में आयुष विभाग को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। “मुख्यमंत्री आयुष स्वास्थ्य योजना” के तहत राज्यभर में आयुर्वेद, होम्योपैथी, और यूनानी चिकित्सा केंद्रों को सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, “राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM)” के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में आवश्यक औषधि वितरण, चिकित्सालयों के सुदृढ़ीकरण और प्रशिक्षित चिकित्सकों की नियुक्ति पर भी बल दिया जा रहा है।

इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को सुलभ बनाना है। लेकिन जमीनी स्तर पर कई जगहों पर अब भी संसाधनों की कमी और आपूर्ति में विलंब जैसी समस्याएँ सामने आ रही हैं। रामनगर का मामला इसी का उदाहरण है।

रामनगर और आसपास के क्षेत्रों के निवासियों का कहना है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं वाराणसी को “आयुष और स्वास्थ्य नवाचार का केंद्र” बनाने की बात कर चुके हैं, तो ऐसे में स्थानीय स्तर पर इन चिकित्सा केंद्रों में संसाधनों की कमी चिंता का विषय है। क्षेत्र के बुजुर्गों और रोगियों ने भी यह मांग की है कि जल्द से जल्द दवाओं की आपूर्ति की जाए ताकि लोग फिर से पारंपरिक चिकित्सा से लाभान्वित हो सकें।

प्रमुख समाजसेवी ई. अमित राय ‘वत्स’ की यह पहल न केवल प्रशासनिक जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह जनता की आवाज़ को सशक्त मंच तक पहुँचाने का सार्थक प्रयास भी है। स्थानीय स्तर पर वे पहले भी स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कई जनहित कार्य कर चुके हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थिति को सुधारने की उनकी यह मांग निश्चित ही क्षेत्र की बड़ी जरूरत को सामने लाती है।

अब सबकी निगाहें प्रमुख सचिव आयुष श्री रंजन कुमार के निर्णय पर टिकी हैं। यदि इस पर शीघ्र कार्रवाई होती है, तो यह कदम न केवल रामनगर की जनता के लिए राहत भरा होगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि सरकार जनता की आवाज़ को गंभीरता से सुनती है।

आयुर्वेद भारत की पहचान है, और वाराणसी उसकी आत्मा। यदि यहाँ के चिकित्सालयों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी जाए, तो न केवल स्थानीय जनता को लाभ मिलेगा, बल्कि यह वाराणसी को “वैश्विक आयुर्वेद केंद्र” बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगा। समाजसेवी ई. अमित राय ‘वत्स’ की यह पहल वास्तव में एक जनपक्षीय चेतना का प्रतीक है। जो दिखाती है कि जब जनता और जनसेवक एक साथ खड़े होते हैं, तो बदलाव निश्चित होता है।

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