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आजमगढ़: सपा विधायक रमाकांत यादव को 2016 के सरकारी कार्य बाधा मामले में एक साल का कारावास

आजमगढ़: सपा विधायक रमाकांत यादव को 2016 के सरकारी कार्य बाधा मामले में एक साल का कारावास

आजमगढ़ एमपी-एमएलए कोर्ट ने सपा विधायक रमाकांत यादव को सरकारी कार्य बाधा, चक्का जाम के 2016 मामले में एक साल कैद, 2700 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

आजमगढ़: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और फूलपुर-पवई से विधायक रमाकांत यादव को 2016 में हुए एक प्रकरण में आजमगढ़ की एमपी-एमएलए स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने एक वर्ष के कारावास और 2700 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह मामला सरकारी कार्य में बाधा डालने, चक्का जाम करने और लोक शांति भंग करने से संबंधित था। अदालत ने मामले में सह-अभियुक्त चार अन्य लोगों को पर्याप्त सबूत न मिलने पर दोषमुक्त कर दिया है।

यह मामला 3 फरवरी 2016 का है, जब फूलपुर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह ब्लाक प्रमुख चुनाव की संवेदनशीलता को देखते हुए अंबारी चौक पर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान जयप्रकाश यादव उर्फ मंशा यादव के वाहन से लगभग दो लाख रुपये बरामद किए गए। पुलिस ने मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और आगे की कार्रवाई शुरू की।

इसी बीच जयप्रकाश यादव की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही सपा विधायक रमाकांत यादव अपने लगभग ढाई सौ समर्थकों के साथ अंबारी पुलिस चौकी पहुंच गए। अभियोजन पक्ष के अनुसार, विधायक ने अपने समर्थकों के साथ पुलिस पर दबाव बनाकर आरोपी को छुड़ाने की कोशिश की और मौके पर चक्का जाम कर दिया। अचानक हुई इस भीड़ और अवरोध से चौक पर अफरातफरी मच गई और सार्वजनिक व्यवस्था भंग हो गई।

पुलिस ने मामले की जांच पूरी कर रमाकांत यादव समेत पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी। मामले की सुनवाई के दौरान सहायक अभियोजन अधिकारी विपिन चंद्र भास्कर ने कुल 15 गवाहों के बयान न्यायालय में प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद एमपी-एमएलए स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज अनुपम त्रिपाठी ने सपा विधायक रमाकांत यादव को दोषी करार दिया और उन्हें एक वर्ष का सश्रम कारावास और 2700 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

वहीं, अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में सह-अभियुक्त रंगेश यादव, मन्ना उर्फ शेष नारायण, रजनीश और चंद्रभान को दोषमुक्त कर दिया।

यह फैसला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था में कानून के पालन के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जनप्रतिनिधियों से कानून और शांति व्यवस्था के प्रति जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है।

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