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वाराणसी: सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सीएम योगी को लिखा पत्र, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग

वाराणसी: सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सीएम योगी को लिखा पत्र, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग

सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सीएम योगी को पत्र लिखकर वाराणसी में अधिवक्ताओं की सुरक्षा व एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की।

वाराणसी : सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर जताई गंभीर चिंता, दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग।

आपको बताते चले, कि वाराणसी में बीते कुछ दिनों से अधिवक्ताओं और पुलिस के बीच तनाव लगातार गहराता जा रहा है। घटनाओं की श्रृंखला ने अब राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) आशुतोष सिन्हा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक विस्तृत पत्र भेजकर दोषी पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने प्रदेश में लंबे समय से लंबित "एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट" को तत्काल लागू करने का आग्रह भी किया है।

आशुतोष सिन्हा ने अपने पत्र में कहा कि अधिवक्ताओं पर हो रहे हमले और दुर्व्यवहार की घटनाएं कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं। उन्होंने हाल ही में वाराणसी में हुई उस घटना का भी उल्लेख किया, जिसमें वकीलों के साथ कथित रूप से पुलिसकर्मियों ने मारपीट की थी और अदालत परिसर में तनाव की स्थिति बन गई थी। सपा एमएलसी ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि आखिर कब तक अधिवक्ता सुरक्षा और न्याय की मांग करते रहेंगे, जबकि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर संवेदनशील होने का दावा करती है।

उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि अधिवक्ताओं को केवल पेशेवर जिम्मेदारियों के निर्वहन के दौरान ही नहीं, बल्कि निजी जीवन में भी कई बार धमकियों और हिंसा का सामना करना पड़ता है। ऐसे में "एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट" लागू होना न केवल अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि न्याय व्यवस्था की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस एक्ट को लागू करने से अधिवक्ता समाज को आत्मविश्वास मिलेगा और वे बिना डर-भय के अपनी भूमिका निभा सकेंगे।

आशुतोष सिन्हा ने मुख्यमंत्री योगी को भेजे गए पत्र में यह चेतावनी भी दी है कि यदि दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो अधिवक्ता समुदाय का आक्रोश और बढ़ेगा, जिससे कानून-व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत ऐसे मामलों पर संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों को उदाहरण स्वरूप कठोर दंड देना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई पुलिसकर्मी इस प्रकार की मनमानी करने का साहस न कर सके।

गौरतलब है कि वाराणसी में वकीलों और पुलिस के बीच पिछले कुछ समय से विवाद गहराता जा रहा है। अधिवक्ता लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अदालत परिसर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है, लेकिन तनावपूर्ण माहौल अभी भी बना हुआ है। ऐसे में सपा एमएलसी का यह पत्र न केवल अधिवक्ताओं की मांग को मजबूती देता है, बल्कि सरकार पर भी दबाव बढ़ाता है कि वह इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाए।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में यह मामला और भी बड़ा रूप ले सकता है, क्योंकि अधिवक्ता समाज को हमेशा से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली वर्ग माना जाता रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री को भेजा गया यह पत्र विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने की एक और कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पत्र को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या "एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट" को लागू करने की दिशा में कोई ठोस पहल होती है या नहीं।

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