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कफ सिरप तस्करी के मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल की तलाश जारी, एसटीएफ सतर्क

कफ सिरप तस्करी के मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल की तलाश जारी, एसटीएफ सतर्क

शुभम जायसवाल की तलाश तेज, एसटीएफ ने करीबी अमित सिंह टाटा को पकड़ा, कई बड़े नामों का खुलासा।

कफ सिरप तस्करी के मास्टरमाइंड माने जा रहे शुभम जायसवाल की तलाश अभी भी जारी है, जबकि एसटीएफ उसके करीबी सहयोगी अमित सिंह टाटा को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जांच के दौरान अमित सिंह ने इस व्यापार से जुड़े कई महत्वपूर्ण नामों का खुलासा किया है और कई आर्थिक लेनदेन सामने आए हैं। पुलिस की नजर अब उन लोगों पर भी है जिनके शुभम से वित्तीय और व्यक्तिगत संबंध रहे हैं। बताया जा रहा है कि शुभम ने बहुत कम समय में इतनी बड़ी संपत्ति अर्जित कर ली थी कि वह खुले तौर पर कहा करता था कि पैसों से हर व्यक्ति और हर परिस्थिति को अपने पक्ष में किया जा सकता है।

जांच से यह भी सामने आया है कि लगभग दो माह पहले जब सूबे के एक कैबिनेट मंत्री लखनऊ स्थित अस्पताल में भर्ती हुए थे, तब शुभम बड़ी संख्या में लोगों के साथ उन्हें देखने पहुंचा था। उस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थीं, जिसके बाद राजनीति में उसकी सक्रियता और बढ़ गई थी। शुभम का सपना 2027 में दक्षिणी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का था और इसी लक्ष्य के लिए उसने दीपावली के दौरान पूरे शहर में अपने पोस्टर और बैनर लगवाए थे। नगर निगम ने इन होर्डिंग्स को अवैध मानते हुए उस पर साढ़े पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। एसटीएफ की पूछताछ में अमित सिंह टाटा ने यही बातें स्वीकार की हैं और पूर्वांचल के कई बड़े नामों का भी जिक्र किया है।

सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में एसटीएफ इस मामले में कुछ चर्चित व्यक्तियों को उठा सकती है, जिनका शुभम के साथ आर्थिक लेनदेन रहा है। जांच में यह भी पता चला है कि शुभम के दुबई में बैठे उन लोगों से भी संपर्क हैं जिन्हें कफ सिरप के बड़े तस्कर के रूप में जाना जाता है। एसटीएफ की अगली कार्रवाई बिहार और झारखंड के कफ सिरप नेटवर्क पर केंद्रित होगी, जहां कई बड़े तस्करों की गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है। पूर्वांचल के कुछ लोग भी इस नेटवर्क के संपर्क में पाए गए हैं, जिन्होंने निवेश के नाम पर शुभम को करोड़ों रुपये दिए थे। इस निवेश में बिल्डर, स्कूल संचालक, होटल कारोबारी और कुछ सफेदपोश लोग भी शामिल हैं।

एसटीएफ शुभम से जुड़े लोगों की पूरी कुंडली खंगाल रही है। जांच में सामने आया है कि लगभग पांच माह पहले उसने शहर और अन्य जिलों के पांच कारोबारियों को विदेश यात्रा कराई थी जिसमें एक दवा कारोबारी भी शामिल था। इंग्लैंड सहित अन्य देशों की इस यात्रा के लिए पैकेज दिल्ली की एक टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी से बुक कराया गया था। एसटीएफ अब इस टूर और इससे जुड़े वित्तीय लेनदेन की जांच भी कर रही है।

शुभम के नेटवर्क में आजमगढ़ के नरवे का निवासी विकास सिंह भी शामिल बताया जा रहा है जो स्थानीय माफियाओं के संरक्षण में है। विकास सिंह ही वह व्यक्ति है जिसके जरिए अमित सिंह टाटा की मुलाकात शुभम से हुई थी। एसटीएफ उसकी लोकेशन और ठिकानों की जानकारी जुटाने में लगी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि शुभम जायसवाल, विकास सिंह, गौरव जायसवाल और वरुण सिंह की गिरफ्तारी के प्रयास लगातार जारी हैं।

पंचायत चुनाव से ठीक पहले इस पूरे कांड का पर्दाफाश होना कई राजनीतिक संकेत भी देता है। शुभम के पार्टनर और रामपुर ब्लॉक से दावेदारी कर रहे अमित सिंह टाटा की गिरफ्तारी और जौनपुर सीट से जुड़ी योजनाओं का विफल होना कई बड़े समीकरणों की ओर इशारा करता है। जांच में सामने आया है कि अमित सिंह को ब्लॉक प्रमुख बनाने के लिए शुभम ने 26 बीडीसी सदस्यों का खर्च उठाने का दावा किया था। ब्लॉक चुनाव में अधिक बीडीसी का समर्थन महत्वपूर्ण होता है और उम्मीदवार अक्सर उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए गाड़ियों और नकदी तक देने से पीछे नहीं हटते। शुभम का दावा था कि अमित सिंह को पैसों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी और जिले की हॉट सीट पर भी कोई चुनौती नहीं बचेगी। लेकिन ठीक उसी समय उसका नाम सामने आने से पूरा खेल बदल गया। शुरुआत में फाइनेंसर शुभम को बचाने की कोशिशें हुईं, लेकिन शासन स्तर की कड़ी कार्रवाई के सामने वे प्रयास विफल हो गए।

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